बड़वानी :- शराब ठेकेदारों की मिलीभगत से मालामाल हो रहा है आबकारी विभाग….!
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शराब ठेकेदारों की मिलीभगत से मालामाल हो रहा है आबकारी विभाग….!
बड़वानी से हेमंत नागजीरिया की रिपोर्ट :- आबकारी विभाग शराब ठेकेदार की मिलीभगत से मालामाल हो रहे हैं। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि वह परिस्थितियां कह रही हैं जो शराब दुकानों में लगातार देखी जा रही हैं और इन स्थितियों की जानकारी आबकारी विभाग के नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारियों को होने के बावजूद ओवरप्राइसिंग के इस महा खेल पर कोई लगाम नहीं लग पा रहा है। कार्रवाई नहीं होना और शराब दुकानों में ओवरप्राइसिंग का खेल नहीं रुकना इस बात की ओर इशारा करता है कि आबकारी विभाग के अधिकारी शराब दुकानों के लिए प्लेसमेंट एजेंसी का काम कर रहे लोगों से भरपूर उपकृत हैं और इन्हें बड़वानी जिले में शराब उपभोक्ताओं से खुली छूट की इजाजत दे दी गई है।
मीडिया में जब खबरें आती है तो कुछ दिनों के लिए शहरी क्षेत्र में ओवरप्राइसिंग बंद कर दी जाती है लेकिन इसके बाद यथावत शराब की बातों पर ज्यादा रुपए वसूले जा रहे हैं। खरीदारों से मूल्य बढ़ने की बात कही जाती है जबकि बॉटल पर रेट कम लिखा होता है। इतना ही नहीं बल्कि जब हंगामे की स्थिति निर्मित होती है तो दुकान में बैठे कर्मचारी प्रिंट रेट पर ही बॉटल को देने तैयार हो जाते हैं। लेकिन ऐसा कम ही होता है जब कोई खरीदार हर बार दुकान में बैठे कर्मचारियों से हुज्जत बाजी करें क्योंकि एजेंसी संचालक की भी अपनी लंबी चौड़ी सत्ता है जिसके दम पर वह ग्राहकों को भय दिखाकर ज्यादा रुपए ऐंठ रहा है इस रुपए का हिसाब वह किसके किसके पास करता है या कर सकता है पूरे जिले के शराब दुकानों में ओवरप्राइसिंग का खेल धड़ल्ले से चला है। ऐसे में कई दुकानों में शराब खरीदी के लिए जा रहे ग्राहकों ने बताया कि उनसे प्रिंट रेट से ज्यादा रुपए की वसूली की गई और बिल भी नहीं दिया गया । यहां पर अंजड़ पर स्थित सरकारी ठेके पर स्थित दुकान की बात करें तो यहां भी यही स्थिति देखने को मिली। जब हमारा ग्राहकों की शिकायत को परखने के लिए इस दुकान पर पहुंचा और ब्रांड का बॉटल खरीदा तो उससे 480 रुपए प्रिंट रेट के बदले 600 रुपए की मांग की गई। जब ने दुकानदार से बिल मांगा तो दुकानदार ने कहा कि वह बिल नहीं दे सकता क्योंकि स्केन नहीं हो रहा है। बाद में दुकान के भीतर बैठा एक अन्य कर्मचारी काउंटर पर आया और उसने कहा कि यह पुराना स्टाक है। लेकिन रेट बढ़ चुका है इसलिए अब इस ब्रांड के 600 रुपए देने होंगे।
शराब ज्यादा रेट में ले जाओ लेकिन बिल मांगो तो खैर नहीं
जिले की लगभग सभी दुकानों में ग्राहकों को बिल नहीं दिया जा रहा है। इसका कारण यही है कि ज्यादा कीमत पर शराब की बिक्री करने के बाद दुकान में बैठे कर्मचारी अपने भ्रष्टाचार का सबूत रसीद में नहीं दे सकते उनकी ओर से बिल मांगने पर यही बहाना बनाया जाता है कि उनकी मशीनें खराब है। इसके नहीं हो रहा है या फिर वह पूरी पेटी का स्कैन करके माल बेच रहे हैं, अलग-अलग बोतल का स्कैन करना संभव नहीं है। हैरानी की बात यह है कि इन तमाम बातों की जानकारी और पूरे भ्रष्टाचार के खेल के बारे में सार्वजनिक तौर पर जिले के जिम्मेदार लोगों कोजानकारी है बावजूद इसके सभी इस भ्रष्ट व्यवस्था में खुश नजर आ रहे हैं।
आबकारी विभाग के के मुजाल्दा से इस के बात कि तो बताया गया कि अभी उनके पास ग्वालियर से शराब की एम आर पी लिस्ट नही हैं । आयेगी तब उपलब्ध हो जायेगी। तब प्रश्न उठता हैं कि अंजड़ देशी विदेशी वाइन शाप पर किस प्रकार से एम आर पी से अधिक कीमत वसूल की जा रही हैं।
जिले में कच्ची शराब बनाने वाले पर कार्यवाही की जा रही हैं। पर जिनके पास अवैध शराब बेचने का लाइसेंस नही हैं कुछ ही के पास F2 cs केटेगिरि के लायसेंस । उन्हें छोड़कर बिना लाइसेंस बेचते शराब विक्रता पर कार्यवाही नही की जाती हैं यदि कारवाही की भी मालिक के बजाए दूसरे लोगो पर 2 से 4 देशी शराब पर केश बना कर इति श्री करली जाती हैं