चुनाव आयोग को खुला खत, पद से इस्तीफा देने वाले विधायकों एवं सांसदों की चुनाव लड़ने की योग्यता समाप्त की जाए: डॉ रामजी दास राठौर
चुनाव आयोग को खुला खत, पद से इस्तीफा देने वाले विधायकों एवं सांसदों की चुनाव लड़ने की योग्यता समाप्त की जाए: डॉ रामजी दास राठौर
शिवपुरी/ध्रुव शर्मा:- भारतीय लोकतंत्र की रक्षा करने, भारत में निष्पक्षता पूर्ण चुनाव कराने एवं राजनीतिक दलों द्वारा जनादेश का पालन करने के लिए के लिए डॉ रामजी दास राठौर शिक्षाविद एवं समाजसेवी शिवपुरी ने मुख्य चुनाव आयुक्त भारत सरकार दिल्ली को लिखे एक खुले खत के माध्यम से मांग की है कि दल बदलने वाले एवं अपनी सदस्यता से इस्तीफा देने वाले विधायकों एवं सांसदों के चुनाव लड़ने की योग्यता आगामी 10 वर्षों तक समाप्त की जाए. उन्होंने बताया कि भारतीय लोकतंत्र की रक्षा के लिए भारत में चुनाव आयोग की स्थापना की गई है. चुनाव आयोग का पूर्ण प्रयास होता है कि भारत में लोकतंत्र हमेशा कायम रहे. इसके लिए चुनाव आयोग द्वारा दल बदल निरोधक कानून बनाया जाए .
वर्तमान में यह देखने में आ रहा है कि विधायक सरकार को अस्थिर करने के लिए दल- बदलने के स्थान पर अपने विधायक पद से इस्तीफा देकर सरकार को अस्थिर करते हैं तथा बाद में प्रदेश में उपचुनाव के द्वारा विपक्षी दल के उम्मीदवार के रूप में नामांकन भर पुनः जनप्रतिनिधि बनने का प्रयास करते हैं.
जनता ने जिस दल के विधायक को जिताया था वह अपनी सदस्यता से इस्तीफा देकर विपक्षी दलों में शामिल होकर उपचुनाव कराते हैं. विधायकों ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा दिया था इसका मतलब उनका विधायक के रुप में कार्य करने का मन नहीं है.अतः ऐसे समस्त पूर्व -मंत्रियों एवं विधायकों की चुनाव लड़ने की योग्यता आगामी 10 वर्षों तक समाप्त करनी चाहिए.
क्योंकि जनप्रतिनिधियों द्वारा आम जनता के साथ विश्वासघात किया जा रहा है तथा इस तरह के जनप्रतिनिधि यदि बार-बार चुनकर आते रहेंगे तो प्रदेश में उपचुनाव की स्थिति लगातार बनी रहेगी. जिसमें सरकारी मशीनरी एवं आम जनता का काफी सारा समय, धन एवं श्रम बर्बाद होता रहेगा तथा आर्थिक विकास प्रभावित होगा.
रामजी दास राठौर ने कहा कि इस खुले खत के माध्यम से मैं डॉ रामजी दास राठौर शिक्षाविद एवं समाजसेवी चुनाव आयोग से मांग करता हूं कि इस संबंध में चुनाव आयोग भारत सरकार कार्रवाई करने का कष्ट करे. जिससे कि मध्यप्रदेश एवं भारत में लोकतंत्र की रक्षा की जा सके.
चुनाव आयोग द्वारा यदि उचित कार्यवाही की जाती है तो आम जनता तथा जनप्रतिनिधियों में यह संदेश स्पष्ट रूप से जाएगा कि जिस जनता ने आपको जिस दल के उम्मीदवार के रूप में चुना है आप उस दल के साथ सत्य निष्ठा के साथ कार्य करें तथा जनादेश की अवहेलना ना करें.
चुनाव आयोग जनता के एक-एक पैसे की कीमत को पहचाने. बार-बार उपचुनावों में धन बर्बाद होने के कारण भ्रष्टाचार भी समाज में बढ़ता है. यदि भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराना है तो इस तरह के व्यवहार को बदलना अनिवार्य है.
पहले तो मत -पेटियां लूटी जाती थी. बाद में ईवीएम हैक करने की शिकायतें मिली. लेकिन अब तो परिस्थितियां यह बन गई है कि विधायक किसी भी दल का बन जाए यदि हमें अपनी सरकार बनाना है तो वर्तमान विधायकों को सदस्यता से इस्तीफा दिलाकर उन्हें अपने दल का उम्मीदवार बनाकर तथा उपचुनाव करा कर अपनी सरकार बनाना है जो पूर्ण रूप से अनुचित है.
अतः भारतीय लोकतंत्र को मध्यप्रदेश एवं भारत में सुरक्षित रखने के लिए चुनाव आयोग उचित कदम उठाने का कष्ट करे.