महिला दिवस खास: प्रदेश में महिलाओं की स्थिति की एक झलक 

महिला दिवस खास: प्रदेश में महिलाओं की स्थिति की एक झलक 
भोपाल/राज राजेश्वरी शर्मा:  कहने को तो देश, प्रदेश, विश्व सभी जगह महिलाओं की स्थिति में बदलाव आ रहे है। आज प्रदेश महिला दिवस भी बड़े ही रौचक ढंग से  मना रहा है। जहां कार्यक्रम के संचालन की नींव महिलाओं ने ही संभाल रखी है। लेकिन इसके बाद भी ऐसी ना जाने कितनी जगह है जहां महिलाओं को आज भी उनका अधिकार नही मिलता। आज भी उन्हें अपने अधिकारों के लिए पुरुषों की तुलना में अधिक कठिन परिश्रम करना पड़ते है।  
आज महिला दिवस पर हम प्रदेश के कुछ ऐसे पहलुओं से रूबरू होंगे जो हमे प्रदेश में महिलाओं की असल स्थिति बताएंगे। 
बेशक, प्रदेश में महिलाओं को लेकर काफी बदलाव आए है। महिलाओं के प्रति सम्मान समस्त जगत में बढ़ा है। लेकिन आज भी कुछ ऐसी जगह है जहां महिलाओं को स्थान नही दिया जाता। 
कहने को तो महिला दिवस के दिन सब कुछ ” फॉर द वुमेन, बाय द वुमेन, ऑफ द वुमेन की तर्ज पर संचालित हो रहा है। लेकिन यह सिर्फ एक दिन के लिए क्यों ? क्या सिर्फ महिला दिवस पर ही महिलाओं की तरफ खास ध्यान केंद्रित  होगा? क्या रोज़मर्रा की ज़िंदगी मे महिलाओं को उनका अधिकार नही मिलना चाहिए? 
शासन प्रशासन और न्यायपालिका में ऐसे शीर्ष पदों की सूची लंबी है, जहां पहली कतार में महिलाओं को जगह नहीं मिली। बराबर भागीदारी बिना भाग्योदय कैसे हो सकता है? देश के विकास के लिए यह चिंता का विषय है।  
●चिंताजनक है कि अब तक 30 डीजीपी रहे लेकिन महिलाओं को कतार में जगह नही मिली।
● न्याय की देवी तो महिला है। लेकिन अफसोस है कि प्रदेश में  25 चीफ जस्टिस बने पर आज तक कोई महिला यहां नही पहुंची।  
●महिला और बाल विकास मंत्रालय ज़्यादातर महिलाओं के हिस्से आया है। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष वो कभी नही बन पाई। 
●प्रदेश में अब तक सिर्फ 4 महिला कुलपति बनी है। (सरकारी विश्वविधालय में) 
महिलाओं को आज भी कठिन परिश्रम करना पड़ता है। क्योंकि आज भी कहीं ना कहीं महिलाओं को पुरुषों से कम आंका जाता है। यह सोच तभी बदलेगी जब सरकार महिलाओं के परिश्रम को और आसान कर उन्हें उनके आधिकारिक पद सौपेगी। इससे समाज मे महिलाओं के प्रति और सम्मन बढ़ेगा।

Exit mobile version