MP : दो बड़ी वजहों से उमा, विजयवर्गीय सहित ये दिग्गज नेता हुए सरकार के खिलाफ मुखर? एक्सपर्ट्स ने कही ये बात

भोपाल : मध्यप्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने है, जिसको लेकर भाजपा ने अभी से इसकी तैयारी तेज़ कर दी है। जहां एक तरफ पार्टी संगठन को मज़बूती देने का काम कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ पार्टी के दिग्गज नेताओं ने अपनी ही पार्टी को कठघरे में खड़ा किया है। दरअसल, बीते कुछ समय से पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती शराबबंदी को लेकर प्रदश में अभियान छेड़ चुकी है। जबकि सीहोर में रुद्राक्ष महोत्सव के स्थगित होने पर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी सवाल उठाए थे, उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर सार्वजनिक कर दिया था। इसके अलावा पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता, मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी और रीवा जिले में सेमरिया से विधायक केपी त्रिपाठी का नाम भी सुर्खियों में है जो सरकार के खिलाफ कई मुद्दों को लेकर हमलवार रहें हैं। 

वहीं, नेताओं के कारनामों से कई बार तो पार्टी ने ही किनारा कर लिया। अब सवाल ये है कि आखिर जब भाजपा मिशन 2023 की तैयारी कर रही है, ऐसे में ये नेता क्यों मुखर हो रहे हैं? राजनीतिक जानकार इसे दबाव की राजनीति मानते हैं। या फिर वे पार्टी में अपना वजूद जताने की कोशिश कर रहे हैं।

खबरों की मानें तो कैलाश विजयवर्गीय चाहते हैं कि चुनाव से पहले उनका राजनीतिक पुनर्वास फिर से हो। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि वंशवाद की राजनीति नहीं चलेगी। ऐसे में बेटे को दोबारा से टिकट दिलाने के अपना प्रभाव छोड़ना चाहते। जबकि, उमा भारती ने भी लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। 
अब उमा भारती को हाईकमान टिकट देगा या नहीं देगा, इस पर संशय है। 

इधर, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक जानकार अजय बोकिल मानते हैं कि नेताओं के इन तेवरों के पीछे दो कारण प्रमुख हैं। पहला अगले साल चुनाव होने हैं। दूसरा-दबाव की राजनीति। यह नेता प्रदेश की राजनीति में किनारे पर हैं। कैलाश विजयवर्गीय जरूर पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव हैं, तो उनके पास संगठन से जुड़े काम हैं। बाकी नेता किनारे पर हैं। यह नेताओं की अपना वजूद दिखाने और दबाव बनाने की राजनीति का हिस्सा है।

राजनीतिक जानकारो का कहना है कि उमा भारती अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता को तलाश रही हैं, ताकि किसी तरह से उन्हें कोई काम मिले, पार्टी में महत्व मिले। जिस तरह से उन्होंने शराबबंदी का अभियान चलाने की कोशिश की। उनके जिस तरह बयान सामने आ रहे हैं, उन पर पार्टी ध्यान नहीं दे रही।

ऐसे ही उमाशंकर गुप्ता भोपाल दक्षिण-पश्चिम से दोबारा से टिकट चाहते हैं। पिछली बार वे हार गए थे। उनका दावा खारिज न हो इसलिए इस राह पर आगे बढ़े हैं। उनके तीखे तेवर देखने को मिल रहे हैं। जबकि, मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी भी सीएम को कई मुद्दों पर पत्र लिखकर सार्वजनिक कर चुके है। 

बहरहाल, अब देखना होगा की अपनी ही पार्टी के खिलाफ बोल रहे इन नेताओं पर पार्टी क्या एक्शन लेती है, या फिर ये नेता इसी तरह बयान बाज़ी करके सरकार पर दबाव बनाते रहेंगे। 
 

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