"यादव" है हम "सिंधिया" नहीं जो बिक जाए – अरुण यादव

मध्यप्रदेश/भोपाल : खंडवा लोकसभा सीट से पूर्व सांसद व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे अरुण यादव इन दिनों सुर्खियों में बने हुए हैं। दरअसल, मध्यप्रदेश की  खंडवा लोकसभा सीट पर जल्द ही उपचुनाव होना हैं। इस सीट से अरुण यादव की तगड़ी दावेदारी मानी जा रही हैं। लेकिन कहीं न कहीं प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ  इससे सहज नहीं हैं। यहीं कारण है कि अरुण यादव की पार्टी के प्रति नाराज़गी की खबरें सामने आ रहीं थी। हालही में वो कमलनाथ द्वारा बुलाई गई बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे, जिसके बाद प्रदेश में इस बात की चर्चा ज़ोरों पर थी के अब अरुण यादव भी पार्टी बदल सकते हैं। 

लेकिन इन सबके बीच आज अरुण यादव ने एक ट्वीट किया है, जो सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ हैं। अरुण यादव ने ट्वीट करते हुए बड़ी बात कही है इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस में रहे दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भी तंज कसा हैं। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा की – मेरे शरीर व परिवार के रक्त की एक-एक बूंद में कांग्रेस विचारधारा का प्रवाह होता है, मुझ सहित समूचे परिवार के नाम के आगे “यादव” लिखा जाता है “सिंधिया” नहीं। अलगाववादी ताकतों को मुंह की खाना पड़ेगी।

अरुण यादव के इस ट्वीट पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रतिक्रिया दी हैं। दिग्विजय सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा की – शाबाश अरुण आपसे यही हम सभी लोगों की उम्मीद हैं।

बता दे कि सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद से कांग्रेसी नेता सिंधिया के घेराव में जुटे हुए हैं। लेकिन अरुण यादव ने आज ट्वीट करके ये बात साफ़ कर दी है  वो कांग्रेस पार्टी में ही रहेंगे।  

मालूम हो कि अरुण यादव की कथित नाराजगी की कई वजह हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने कहा था कि सर्वे के आधार पर टिकट दिया जाएगा, जबकि अरुण यादव खंडवा के जमीनी नेता हैं। वे यहां से सांसद रहे हैं। केंद्रीय मंत्री भी बने। उनका प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का साढ़े चार साल का कार्यकाल रहा। अगर उन्हें चुनाव में उतरने का आश्वासन मिलता तो वे तैयारी में जुट जाते। अब जो वक्त तैयारी का है, संगठन उसे अंदरुनी सियासत में जाया कर रहा हैं। 

वहीं, इस मामले में अरुण यादव ने कहा था कि मैं फिलहाल क्षेत्र में हूं। जनता की सेवा में लगा हूं, लेकिन मैं भी चाहता हूं कि खंडवा का टिकट सर्वे से तय होना चाहिए। सर्वे में जिसका भी नाम आए पार्टी उसे प्रत्याशी बनाए। उन्होंने पार्टी स्तर पर मतभेद से इंकार कर दिया।

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