टाईगर स्टेट कहे जाने वाले एमपी में ही बाघों की इस साल सबसे ज्यादा मौतें

मध्यप्रदेश/प्रियंक केशरवानी :- देश मे एक ऐंसा भी प्रदेश है मध्यप्रदेश जिसे टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है, और यहां पर सबसे ज्यादा टाइगर पाए जाते है, लेकिन दर्जा होने के वाबजूद भी प्रदेश में बाघों की देख रेख नही हो पा रही है और लगातार बाघों की मौत से सरकार महकमे में है।राज्य में अगस्त 2021 तक 31 बाघों की जान जा चुकी है. इनमें से कुछ का शिकार किया गया तो कुछ अपनी मौत ही मर गए। इन मौतों में से सबसे ज्यादा 18 मौत टाइगर रिजर्व में हुई . हाल ही में रातापानी सेंचुरी में भी दो बाघों के शव मिले थे. तेजी से मर रहे बाघों की मौत के मामले में अब पार्क प्रबंधन की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं. वन्य प्राणी प्रेमी बाघों की मौत का कारण टाइगर रिजर्व में ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति को मानते हैं, जिनका वाइल्ड लाइफ प्रबंधन से कोई लेना-देना नहीं है।

बाघों की संख्या बढ़ने से टेरिटोरियल फाइट से होती है मौतें
वाइल्ड लाइफ पीसीसीएफ आलोक कुमार का कहना है कि राज्य में बाघों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि जब एक ही स्थान पर बाघ ज्यादा हो जाते हैं तो उनके बीच टेरिटोरियल फाइट होने लगती है. इसमें कमजोर बाघ घायल होकर या तो इलाका छोड़ देता है या मर जाता है. जो कि प्राकृतिक है. उन्होंने बताया कि टेरिटोरियल फाइट रोकने के लिए सेंचुरी बनाकर नए इलाके की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है. ताकि बाघों के मरने की संख्या को कंट्रोल किया जा सके मध्य प्रदेश का पन्ना टाइगर रिजर्व 2009 में बाघ विहीन हो गया था. यहां बाघों की संख्या को बढ़ाने के लिए दो अलग-अलग टाइगर रिजर्व से बाघ-बाघिनों को शिफ्ट किया गया था. इसके करीब ढाई साल बाद जंगल में अप्रैल 2012 में एक बाघिन ने 4 शावकों को जन्म दिया था. इसके बाद यहां बाघों का कुनबा लगातार बढ़ता गया. इस समय पन्ना में 31 बाघ हैं. ये साफ करता है कि बाघों के कुनबे को बढ़ाने में 10 साल का समय लगा. तब जाकर इतने सालों में 31 बाघ हुए, लेकिन सिर्फ 8 महीनों में ही 31 बाघों की मौत हो गई।

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