बैतूल का ये अनोखा चुनाव, गांव वालों ने ही चुन ली पंचायत, बोले मरना ही है तो लड़ना क्यों?

बैतूल:- मध्यप्रदेश के बैतूल में एक सराहनिए मिसाल दी गई जहां बिना मतदान के ही पंचायत चुन ली गई. बता दें कि बैतूल में आपसी सहमति से ही पंच और सरपंच का चुनाव कर लिया गया. दरअसल, बैतूल में कोरोना त्रासदी में गांव के कई सारे लोगों ने जान गवा दी जिससे ग्राम वासियों में डर बैठ गया. इसी वजह से गांव वालो ने फैसला किया कि मरना ही है तो लड़ना क्यों? और फिर पंचायत चुनाव में पंच से लेकर सरपंच तक बिना किसी विरोध के पंचायत निर्विरोध चुन ली गई. 

इन लोगों को चुना गया 
यह पंचायत है देवपुर कोटमी। यह जिले मैं आदर्श पंचायत बनकर उभरी है. यहां सरपंच से लेकर सभी 20 पंचो का निर्वाचन निर्विरोध हुआ है जिसमें गांव तक जो सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा था उसे आम सहमति से सरपंच और पंच बना दिया गया. इसके साथ ही बैठक कर आपसी सहमति से यह तय किया गया कि किसी भी वार्ड में पंच के लिए कोई दूसरा व्यक्ति फॉर्म नहीं भरेगा ऐसा ही सरपंच के चुनाव के लिए भी किया गया. 

इस क्राइटेरिया के जरिए किया गया चुनाव
गांव में ग्राम पंचायत आदिवासी महिला के लिए आरक्षित है इसलिए यह तय किया गया कि इस वर्ग की जो भी महिला सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी है उसको सरपंच बना दिया जाएगा. यही वार्डों में भी किया गया जो पंच ज्यादा पढ़े लिखे और सक्षम है उन्हें चुन लिया गया. इस फैसले के बाद पूरे गांव में दसवीं कक्षा तक पढ़ी अंबर इवने को सरपंच चुन लिया गया ऐसे ही 20 पंच भी चुन लिए गए इनमें सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा युवक 12वीं पास है. इस पहल के बाद हर तरफ से बैतूल की सहारना की जा रही है.

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