ये है मप्र, जहां स्वास्थ्यकर्मियों को नौकरी की जगह मिलती है पुलिस की लाठियां…जानिए क्या है पूरा मामला 

भोपाल से खाईद जौहर की रिपोर्ट – कोरोना काल के दौरान जिन स्वास्थ्यकर्मियों ने अपनी स्वास्थ्य सेवाएं दीं उन्हीं स्वास्थ्यकर्मियों को राजधनी भोपाल की पुलिस ने बेरहमी से पीटा। पुलिस ने स्वास्थ्यकर्मियों पर जमकर लाठिया बरसाई। जिसमें 15 से ज्यादा लोगों को चोटें आईं हैं जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं।
जबकि करीब 15 स्वास्थ्यकर्मियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया हैं। 

दअरसल कोरोना काल में तीन महीने के लिए नौकरी पर रखे गए स्वास्थ्यकर्मियों को शासन ने बीते दिनों नौकरी से निकाल दिया था। जिसके बाद 500 से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी नियमितिकरण की मांग को लेकर भोपाल के नीलम पार्क में धरने पर बैठे थे। जिन्हें पुलिस ने गुरुवार को बलपूर्वक धरना स्थल से हटा दिया।

धरने में शामिल हुई एक स्ट्रॉफ नर्स ने बताया कि मध्यप्रदेश शासन ने कुल 6213 कर्मचारियों को कोरोना के दौरान रखा था। इनमें स्टाफ नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट समेत अन्य स्टाफ शामिल था। जिन्हें अब धीरे धीरे कर नौकरी से निकाला जा रहा हैं। वो नियमितिकरण और बहाली की मांग को लेकर प्रदर्शन करने बैठे थे। उन्होंने बताया कि उन्हें स्टाफ नर्स के लिए तीन महीने के लिए रखा गया था। 

स्टाफ नर्स ने बताया कि पुलिस उन्हें काफी देर से हटने के लिए कह रही थी, लेकिन नहीं मानने पर पुलिसकर्मियों ने उन्हें जबरन उठाने का प्रयास किया, और लाठी चार्ज किया। उन्होंने कहा कि पुलिस ने महिलाओं तक को नहीं छोड़ा। इस पुरे विवाद में 15 से ज़्यादा लोगों को गंभीर चोट आई हैं।  

इधर, पुलिस का कहना है कि स्वास्थ्यकर्मियों ने प्रदर्शन के लिए सिर्फ एक दिन की अनुमति मांगी थी और दूसरे दिन गैस पीड़ित संगठनों का नीलम पार्क पर प्रदर्शन था। लेकिन स्वास्थ्यकर्मी दूसरे दिन भी धरने पर बैठे रहे जब उनसे परमीशन नहीं होने और परमीशन लेने के बारे में कहा गया तो वो पुलिसकर्मियों से भिड़ गए जिसके चलते पुलिस को लाठियां चलानी पड़ीं और जबरदस्ती स्वास्थ्यकर्मियों को पार्क से बाहर निकालना पड़ा।

इससे पहले नीलम पार्क में विभिन्न जिले से 1100 पैरामेडिकल स्टाफ बुधवार को धरने के लिए पहुंचे। जहां वह सुबह 11:00 बजे पॉलिटेक्निक चौराहे पर प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस ने पैरामेडिकल स्टाफ को खदेड़ दिया। जिसके बाद उन्होंने नीलम पार्क को अपना धरना स्थल बनाया।

महिला नर्सेज का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार ने कोरोनावरियर्स के रूप में 9 महीने तक उन से काम करवाया। इसके बाद उन्हें संविदा स्थाई नियुक्ति देने की वजह सरकार ने उन्हें निकाल दिया। महिला नर्सेस का ये भी कहना है कि उनके काम के लिए उन्हें कोई सैटिफिकेट भी नहीं दिया गया। वहीं, इनकी मांग है की इन्हे  संविदा स्थाई नियुक्ति दी जाए। 

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