नल-जल योजना की पाइपलाइन बनी शोभा की सुपारी, सिर पर बर्तन लेकर गन्दे कुंये से पानी ढो रहे हटुआ ग्रामवासी
लखनादौन की पंचायत मढ़देवरी ने दो साल में फूंके 289272 रुपए, न नल दिया न पानी
सिवनी:महेंद्र सिंघ नायक:- हवा और पानी वो प्राकृतिक संसाधन हैं जो मानव जीवन के लिए मौलिक आवश्यकता हैं। हवा तो प्रकृति में विद्यमान है, लेकिन पानी के लिए लाखों जतन करने पड़ते हैं। यूं तो हर नागरिक अपनी आवश्यकता के लिए पानी कहीं से भी जुटाता है, पर शासन भी अपनी जनता तक पानी पहुंचाने के कई उपाय करता है। वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में “ग्रामीण नल जल योजना” भी ऐसी ही जनहितैषी योजना है जो नागरिकों के घर तक स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराती है। लेकिन इसके निर्माता एवं रखरखाव के जिम्मेदार अपनी उदासीनता एवं स्वार्थलिप्सा के चलते सम्बंधित ग्रामीणों को इस स्वच्छ पेयजल आपूर्ति से वंचित रखते हैं। परिणाम यह होता है कि नागरिकों को दैनिक जीवन की मूलभूत आवश्यकता पानी के लिए कठोर संघर्ष करना पड़ता है।
“द लोकनीति” अन्य समाचारों के साथ-साथ मानव जीवन से जुड़े मुद्दों एवं सामाजिक सरोकार के विषयों को प्रमुखता से उठाता है। पेयजल संकट पर जानकारी मिलने पर पाया कि ऐसा ही कुछ जिले की लखनादौन तहसील के आदिवासी बहुल ग्राम हटुआ में देखने को मिलता है। यहाँ की ग्राम पंचायत मढ़देवरी ने ग्रामीण नल जल योजना की पाइपलाइन तो बिछा रखी है, लेकिन वह केवल प्रदर्शन की वस्तु मात्र बनकर रह गई है। न इसमें से कहीं कनेक्शन दिए गए हैं, ना ही इसमें पानी आता है। आज भी हटुआवासी सिर पर वजनदार बर्तन रखकर अपेक्षाकृत गन्दगी भरे कुँये से पानी लाने को अभिशप्त हैं। गाँव के एकमात्र कुँये पर पानी लेने पहुंच रही महिलाओं, बच्चियों की संख्या स्पष्ट बताती है कि यहां पानी का कितना संकट है। कुँये के आसपास गन्दगी का अम्बार है, यही नहीं नहाने-धोने व निस्तार के बाद का गन्दगी भरा पानी वापस कुँये में रिसकर पानी को प्रदूषित कर रहा है। इसके बाद भी पंचायत की लापरवाही से ग्रामीण उसी पानी का उपयोग कर रहे हैं।
शासन ने लाखों रुपए खर्च करके इस गाँव में पाइपलाइन बिछवाया है। शासकीय ट्यूब वेल, मोटर सब कुछ है, लेकिन गाँव में कहीं भी एक अदद सप्लाई नल नहीं है। इसे पंचायत के सरपंच सचिव की अकर्मण्यता ही कहा जाये कि उक्त पाइपलाइन को चालू तक नहीं किया जाता। यही नहीं शासन ने नल जल योजना के रखरखाव, मरम्मत के नाम पर लाखों की शासकीय राशि जारी की है। पर पंचायत ने उसका दुरुपयोग ही किया है। मध्यप्रदेश शासन की पंचायत दर्पण बेबसाइट से जानकारी मिलती है कि वर्ष 2018 एवं 2019 में क्रमशः 136000 तथा 349000 रुपए इस ग्रामीण नल जल योजना के मरम्मत कार्य हेतु स्वीकृत किए गए हैं। इसमें से पंचायत ने विभिन्न तरीकों से क्रमश: 143943 एवं 145329 रुपए मरम्मत के नाम पर व्यय किए हैं। इस प्रकार दो साल के भीतर कुल स्वीकृत राशि 485000 में से 289272 रुपए उड़ाकर भी न तो मरम्मत की गई, न कार्य पूर्ण कर मूल्यांकन कराया गया, ना ही पाइपलाइन से पानी दिया गया।
अब सवाल यह उठता है कि शासन की बहुमूल्य जन-उपयोगी लाखों की राशि आखिर कहां खर्च कर दी गई? क्या पंचायत तीन साल का समय बिताकर भी मरम्मत कार्य पूरा नहीं कर पाई, यदि हाँ तो क्यों? क्या शासन की ये राशि जनता की प्यास बुझाने के लिए पानी हेतु थी या पंचायत के कर्ता धर्तआओं की उदासीनता अथवा स्वार्थलिप्सा की भेंट चढ़ने के लिए। बहरहाल जो भी हो हटुआ निवासी पानी को तरस रहे हैं, और कुँये के गन्दे पानी का उपयोग कर बीमार पड़ रहे हैं।
पंचायत सचिव रीता राजपूत से जानकारी लेने पर उन्होंने बताया कि, गाँव में कहीं कनेक्शन नहीं दिये गये हैं। पाइपलाइन से पानी गाँव के कुँये में छोड़ा जाता है, वहीं से ग्रामीण पानी भरते हैं। अभी मरम्मत का मूल्यांकन नहीं कराते हैं।”
तो ग्रामीण रामविकास परते का कहना है, “पाइपलाइन से कभी पानी नहीं दिया जाता, ये पाइपलाइन दिखावे के लिए लगी है। पूरा गाँव इसी कुँये से पानी पीता है। कुँये के चारों तरफ गन्दगी है, गन्दा पानी रिसकर कुँये में जा रहा है। आज मैंने स्वयं श्रमदान करके आसपास का कचरा साफ किया हूं। हम पाइपलाइन से पानी की मांग करते लेकिन पंचायत वाले यहीं निपटा देते हैं, तहसील स्तर तक बात ही नहीं पहुंचती।”*