दिल्ली में मज़दूरों की स्थिति भयानक, जानिए कैसे ?

दिल्ली में मज़दूरों की स्थिति भयानक, जानिए कैसे ?

लॉकडाउन भले ही अमीर तबके के लिए एक फ्री मूमेंट की तरह हो लेकिन मज़दूरों के लिए ये एक कड़ी परीक्षा है जिसमें अगर कोई ज़िंदा रह गया तो वो आगे अपनी ज़िंदगी जी पाएगा। आप सोच भी नही सकते कि दिल्ली में प्रवासी मज़दूरों की क्या हालत है लॉक डाउन की समय सीमा बढ़ने के साथ ही मजदूरों की कतार मुफ्त खाना खिलाने वाले केंद्रों पर बढ़ती जा रही है. दिल्ली सरकार का दावा है कि 10 लाख लोगों को वो खाना खिला रही है लेकिन कई केंद्रों पर दोपहर का खाना लेने के लिए सुबह छह बजे से लंबी कतारें लगती है.

खाने की समस्या

दोपहर का खाना लेने के लिए लोग सुबह 6 बजे से लाइन में लग जाते हैं और जैसे जैसे खाना बांटने का समय नजदीक आता है, लाइन बढ़ती ही जाती है. लोग अपने घरों से बर्तन और डिब्बे लेकर आते हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए लाइन में लग जाते हैं. लाइन में लग जाने भर से खाना मिल जाने की गारंटी नहीं हो जाती है. दिल्ली के बादली इलाके में लोगों ने बताया कि खाना 1200 लोगों के लिए आता है लेकिन खाना लेने वालों की लाइन 2 हजार तक की हो जाती है. ऐसे में कुछ लोगों को आधा पेट ही खाना मिलता है तो कुछ के नसीब में वह भी नहीं आता है. बादली गांव के ही एक माध्यमिक स्कूल में दो तरह की लाइनें लगाई जाती है, जहां महिलाएं होती है. दिल्ली के रोहिणी इलाके में भी ऐसा ही कुछ नजारा देखने को मिला. यहां भी कई ऐसे लोग मिले जिन्हें खाना नसीब नहीं हो पाया. रोहिणी में 500 लोगों का खाना आता है लेकिन लाइन में 600 से 700 लोग लग जाते हैं. ऐसे में कुछ का भूखा रह जाना लाजमी है. सुबह का खाना जिनको नहीं मिल पाता है वो शाम 5 बजे बंटने वाले रात के खाने के लिए दोपहर से ही लाइन में खड़े हो जाते हैं.

 

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