तो ताई-भाई और सांई के कारण फंसा हुआ था इंदौर महापौर पद का पेंच, पर्दे के पीछे से तीनों नेता कर रहे अपने समर्थकों की लॉबिंग

इंदौर : एमपी में अगले साल होने वाले विधासनसभा चुनाव से पहले नगरीय निकाय चुनाव को सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा है। जो पार्टी इस चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेगी, उसे आगे भी सियासी लाभ मिलेगा। यही वजह है कि दोनों ही प्रमुख दल {कांग्रेस-भाजपा} कोई कमी नहीं छोड़ना चाहते हैं।

बता दे कि भाजपा ने मंगलवार सुबह 16 में से 13 नगर निगमों पर अपने महापौर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया था। लेकिन इंदौर जो सबसे ज़्यादा चर्चित सीट है वहां पेंच फंसा हुआ था।

मालूम हो कि कांग्रेस ने यहां से सबसे धनाढय विधायक संजय शुक्ला पर दांव खेला है। लेकिन बीजेपी प्रत्याशी चयन में पिछड़ गई थी।

दरअसल, ताई-भाई और सांई के समर्थकों में रेस मची हुई थी। शहर के दिग्गज नेता ताई सुमित्रा महाजन, भाई कैलाश विजयवर्गीय और सांई शंकर लालवानी अपने अपने समर्थकों को शहर की सरकार में मुखिया के रूप में देखना चाहते थे, वे पर्दे के पीछे से लॉबिंग कर रहे थे। यही वजह है कि टिकट फाइनल करने में बीजेपी आलाकमान के पसीने छूट रहे थे।

खबरों की मानें तो सुमित्रा महाजन पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता और पूर्व आईडीए अध्यक्ष मधु वर्मा के लिए लॉबिंग कर रही थी। वहीं, कैलाश विजयवर्गीय विधायक रमेश मेंदोला को टिकट दिलाना चाहते थे। जबकि, सांसद शंकर लालवानी नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे और डॉ.निशांत खरे के पक्ष में खडे़ थे।

गौरतलब है कि तीनों नेता पर्दे के पीछे से अपने अपने समर्थकों के लिए लॉबिंग कर रहे थे, जिससे बीजेपी आलाकमान को इंदौर का टिकट फायनल करने में पसीने छूट रहे थे।

लेकिन अंत में भाजपा ने लंबे विचार मंथन के बाद संघ के चेहरे पुष्यमित्र भार्गव को अपना महापौर का उम्मीदवार बनाया। भार्गव 41 साल हैं जो छात्र जीवन से ही एबीवीपी से जुड़े रहे हैं। अब मेयर पद के लिए इनका मुकाबला कांग्रेस के संजय शुक्ला से होगा।

हालांकि, सूत्रों का कहना है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान डॉ निशांत खरे और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा एक अन्य दावेदार को उम्मीदवार बनाना चाहते थे। लेकिन संघ की पृष्ठभूमि वाले पुष्यमित्र भार्गव को उम्मीदवार बनाया गया।

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