रंग लाया द लोकनीति की खबर का असर

 सिवनी जिले से महेंद्र सिंह नायक की रिपोर्ट :-

सिवनी जिले में धूमा क्षेत्र के महत्वपूर्ण गाँव धनककड़ी में पेयजल की गम्भीर समस्या का निस्तारण हुआ है। ग्राम पंचायत द्वारा कुँये और तालाब के बीच मिट्टी-मुरुम का पुराव करके तालाब के गन्दे पानी के कुँये में रिसाव को रोकने की व्यवस्था की गई है, साथ ही कुँये के पानी में ब्लीचिंग पॉवडर आदि डालकर पानी को साफ भी कराया गया है! इससे धनककड़ी वासियों को ग्राम के एकमात्र पेयजल स्रोत से तात्कालिक रूप से स्वच्छ पानी की सौगात तो मिल ही गई है! पर अभी भी बहुत सुधार की आवश्यकता है, क्योंकि लगभग 2500 से अधिक आबादी के लिये इकलौता पेयजल स्रोत यह कुआँ पर्याप्त नहीं है!

     ज्ञात हो कि धनककड़ी ग्राम में कुँये के गन्दे और दूषित पानी के ग्रामवासियों द्वारा पेयजल के रूप में उपयोग करने की जानकारी मिलने पर द लोकनीति जिला सम्वाददाता एवं दिव्य एक्सप्रेस धूमा के स्थानीय सम्वाददाता महेन्द्र सिंघ नायक द्वारा धनककड़ी के कुँये की पड़ताल की थी! जिसमें पाया गया था कि इतने बड़े गाँव में पीने के पानी का एकमात्र स्रोत तालाब से सटकर बना हुआ यह कुँआ ही है, अन्य कोई हैण्डपम्प आदि नहीं हैं! इस कुँये का पानी भी तालाब के गन्दे पानी रिसाव के कारण दूषित हो चुका था! लगभग हरा व मटमैला गन्दा पानी किसी भी प्रकार पीने योग्य नहीं था, पर विवशता में धनककड़ी गाँव के निवासी इसी पानी को पीकर बीमार पड़ रहे थे! ग्रामीणों ने चर्चा में बताया था कि इस पानी के उपयोग से उल्टी-दस्त, सर्दी-जुकाम आदि स्वास्थ्य समस्यायें हो रही हैं! कुछ वर्ष पहले भी धनककड़ी में इसी कुँये के दूषित पानी के उपयोग से महामारी के रूप में हैजा फैल चुका है, जिसमें कई निर्दोष असमय जान गँवा चुके हैं!


      मानव जीवन की मूलभूत आवश्यकता पानी की समस्या को द लोकनीति ने पोर्टल न्यूज एवं वीडियो खबर में प्रसारित किया था। साथ ही हमारे समाचार पत्र दिव्य एक्सप्रेस ने इसका प्रकाशन किया था। लगातार खबरों के चलने और समाचार प्रकाशन से हरकत में आई ग्राम पंचायत ने कुँये के चारों ओर मिट्टी-मुरूम डालकर तालाब के गन्दे पानी के कुँये में रिसाव को रोकने का प्रयास किया है इससे ग्रामवासियों को तात्कालिक राहत तो मिल गई है, पर क्या यह इतने बड़े गाँव की पेयजल समस्या का निदान हो पाएगा? अभी शीत ऋतु व लगातार हो रही वर्षा से उक्त कुँये का जलस्तर ठीक है, पर ग्रीष्मकाल में घटते जलस्तर की स्थिति में क्या होगा! क्या समय-समय पर ब्लीचिंग पॉवडर य क्लीनिंग एजेण्ट आदि डालकर पानी की सफाई का ध्यान रखा जायेगा? क्या समाचार प्रकाशन की राह देखती ग्राम पंचायत धनककड़ी को अपने ही ग्राम के निवासियों की पेयजल समस्या दिखाई नहीं पड़ रही थी? क्या ये व्यवस्थायें पहले करके अपने ग्रामवासियों के स्वास्थ्य की रक्षा पहल नहीं की जा सकती थी? ऐसे बहुत से प्रश्न हैं, जिनका उत्तर समय के साथ ही मिलेगा! गौरतलब है कि धनककड़ी के अन्य ग्रामवासियों की तरह यहाँ के सरपंच महोदय भी स्वयं सपरिवार इसी पानी का उपयोग करते हैं! इसी पानी से विद्यालयों का मध्यान्ह भोजन तैयार होता है, एवं विद्यार्थी पीते हैं! देर आयद-दुरुस्त आयद को चरितार्थ कर ग्राम पंचायत ने कुछ तो किया! पर अभी भी बहुत सुधार की आवश्यकता है, क्योंकि जल है तो जीवन है

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Exit mobile version