सिहोरा : इमरजेंसी वाहन Ambulance और 100 नंबर जाम में सरेंडर ,शहर की ट्रैफिक व्यवस्था ख़राब , जिम्मेदारों को नहीं सुध …

सिहोरा : इमरजेंसी वाहन Ambulance और 100 नंबर जाम में सरेंडर ,शहर की ट्रैफिक व्यवस्था ख़राब , जिम्मेदारों को नहीं सुध …

द लोकनीति डेस्क जबलपुर (सिहोरा )
धर्म नगरी सिहोरा में नवदुर्गा का पावन त्यौहार बड़े धूम धाम से मनाया जाता है। जिसमें सारे नगर को रौशनी से नहलाया जाता है । माता की आरती में सभी शामिल होकर अपनी कृपा बनाए रखने का आशीर्वाद मांगते है। लेकिन इसी नवदुर्गा में आज से ठीक 5 साल पहले कुछ ऐसा हुआ था जिसे आंखों देखा हाल नहीं बताया जा सकता। जिसने गोसलपुर दुर्घटना को जाना देखा समझा उसकी रूह कांप उठी थी कुछ लाशों के ढेर देख कर घबराए थे तो कुछ बलवा और भीड़ को समझ ही नहीं पा रहें थे । हालात इतना बढ़ गया था कि तत्कालीन जबलपुर कलेक्टर महेशचंद्र चौधरी को भी डेरा गोसलपुर में डालना पड़ा और वे ज़मीन पर रोड में बैठकर भीड़ से शांत होने की अपील करने लगे थे। शायद कलेक्टर साहब प्रोमोशन पाकर बड़ी जगह चले गए होंगे लेकिन वो दिन और रात उनके जेहन में भी ज़रूर होगी। सात लोगों की मौत जिसने सुनी वह भीड़ का हिस्सा बन गया था। सब एकदुसरे के आमने -सामने क्या क्या हुआ वह प्रत्यक्षदर्शी ही बतायेगा..।

इधर देखिए गंभीर मरीजों का इलाज में जाने वाली एम्बुलेंस भी ट्रेफिक में खड़ी खड़ी चिल्लाती रही लेकिन पुलिस का अतिआवश्यक वाहन 100 नंबर भी इस ट्रेफिक जाम में फंसकर रह गया और सब अपनी हाज़िरी दे रहे थे तो …. बिजली विभाग का अति आवश्यक वाहन भी पास में दूसरे ओर खड़ा होकर इस ज़ाम का जमाती बनता दिख रहा था।

जनता तो बीच में पिस ही जाती है..

और जनता तो बीच में पिस ही जाती है… तो सभी ने अपनी गाड़ी , किसी की बुलेट किसी की honda किसी की hero सब चीख रही हॉर्न बजा रहे … लेकिन हॉर्न बजाने से कुछ नहीं होगा। पीछे से एक आवाज़ आयी तो गाड़ी बंद कर मेरे पीछे देखने लगे , बोले क्या होगा भैया तुम्हारे फोटू खींचने से ??  यहा सब सिहोरा वाले सब मुर्दा है इनको इनका हक़ जबतक चम्मच से नहीं खिलाओगे तब तक इनको स्वाद नहीं आता,अब मुर्दा है तो रहने दो ,तुम पत्रकारिता में नए हो पैसा -वैसा कमाओ , अपना मामला सेट करो और आगे बढ़ते रहना । मुझे भी लगा सही बोले भइया – यहां किसी की मदद करने में लोग दस बार सोचेंगे लेकिन महंगी फ़ीस वाले नियम कानून की धज्जियां उड़ाने वालों स्कूलों का साथ देंगे या चुप रहेंगे। वैसा चुप रहना भी एक बीमारी है जो अक्सर आम आदमी में पाई जाती है । यह केवल अमीरों और गरीबों में नहीं पाई जाती । ख़ैर ऑफिस के लिए लेट हो रहा हूं मिलते है बाद में …अब 100 नंबर और एम्बुलेंस भी निकल चुकी है अपन भी निकल आए…..

लेकिन आप कही मत …. जाना..

 सिहोरा के मैंन इलाकों जैसे गोरी तिराहा , बायपास , झण्डा बाज़ार , खितौला तिराहा सभी जगह  बड़े वाहन बेलगाम दौड़ रहे है। जबकि चेकिंग का यह समय है , गृह मंत्रालय की गाइडलाइन है
ख़ैर चेक इसलिए नहीं किए जाते क्योंकि स्थानीय नेताओं का अवैध खनन का कारोबार प्रभावित न हो। सेवा में लगे रहना ज़रूरी है

आप अपनी सेफ़्टी ख़ुद रखिए क्योंकि प्रशासन सो रहा है 
5 वर्ष पहले…….का गोसलपुर हादसा
गोसलपुर हादसा : सात की मौत के बाद दूसरे दिन भी रहा तनाव


लोग समझ पाते तब तक देर हो चुकी थी तभी एक रौंदता हुआ ट्रक एक ट्रैक्टर से जाकर टकराया
 दशहरा पर्व के उल्लास में डूबे गोसलपुर के जुलूस में जब ट्रक घुसा तो कोहराम मच गया। भीड़ में भगदड़ मच गई और लाेेग जान बचाकर यहां-वहां भागने लगे। लोगों को रौंदता हुआ ट्रक एक ट्रैक्टर से जाकर टकराया। 4 लोगों ने मौके पर दम तोड़ दिया जबकि 3 की इलाज के दौरान मौत हो गई। करीब 24 लोग घायल हुये।
बेकाबू भीड़ ने दर्जन भर वाहन फूंक डाले


हादसे के बाद ग्रामीण बेकाबू हो गए और उसके बाद घंटों उत्पात मचा रहा। आक्रोशित भीड़ ने पुलिस के वाहनों सहित सरकारी वाहनों को फूंक पुलिस दल पर पथराव शुरू कर दिया। भीड़ को काबू में करने पुलिस को हवाई फायरिंग व अश्रु गैस छोड़नी पड़ी। इस घटनाक्रम के चलते जबलपुर-सिहाेरा हाइवे मार्ग पर आवागमन बंद रहा।
पहले ट्रक का फिर पुलिस का कोहराम
गोसलपुर हादसे के बाद हुए घटनाक्रम को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा शांत नहीं हुआ है। उनका कहना था कि नेता व पुलिस उनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रही है। अगर पहले से ही सतर्कता बरती जाती तो शायद 7 लोगों की जान नहीं जाती। ग्रामीणों का कहना था कि इतने बड़े हादसे के बाद अपनी गलती को छिपाने पुलिस अधिकारियों ने उन पर बर्बरता दिखाई और पूरी रात लोगों को घरों से निकाल कर बेरहमी से पीटा गया एवं घरों के बाहर खड़े दोपहिया व चार पहिया वाहनों में जमकर तोड़फोड़ की गई।

हादसे के बाद सिहोरा जबलपुर हाईवे मार्ग बंद कर भारी वाहनों को मझौली मार्ग से निकाला गया :
 इस पूरे घटनाक्रम से आक्रोशित ग्रामीण दूसरे दिन एकजुट होकर सड़क पर उतर आए और शव रखकर चकाजाम किया। इस दौरान सांसद व पुलिस अधिकारियों को लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ा। आखिर ग्रामीणों द्वारा अपनी शर्त मनवाने के बाद ही हाइवे पर प्रदर्शन समाप्त कर शव का अंतिम संस्कार किया गया। क्षेत्र में तनाव को देखते हुए कलेक्टर, एसपी दोपहर तक थाने में डेरा जमाए रहे और स्थिति सामान्य होने के बाद जबलपुर के लिये रवाना हुए। हादसे के बाद सिहोरा जबलपुर हाईवे मार्ग बंद कर भारी वाहनों को मझौली मार्ग से निकाला गया।
शव रखकर जाम लगाया- चल समारोह के दौरान हुए हादसे के बाद से सुलगे गोसलपुर में सुबह से ही तनाव का माहौल रहा। दोपहर में घटना स्थल से कुछ दूरी पर रहने वाले अजय अग्रवाल के शव को अंतिम संस्कार के लिये ले जाते समय हाइवे पर शव रखकर प्रदर्शन शुरू कर दिया गया।
इससे पूर्व गिरजा बर्मन का शव अंतिम संस्कार के लिये ले जाया गया। हादसे से गिरजा की पत्नी शिवकुमारी, पुत्र अनिल, राजेन्द्र, प्रेमचंद व विनोद शोक में डूबे हुए थे।
सांसद पर भड़का गुस्सा और स्थानीय नेताओं की जनता ने की थी जमकर कुटाई 
 घटना की जानकारी मिलने पर सुबह दस बजे के करीब गोसलपुर पहुंचे सांसद राकेश सिंह को लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ा। आक्रोशित ग्रामीण उन्हें देखकर भड़क उठे और पुलिस कार्रवाई को लेकर आक्रोश जताया। इस दौरान उसके साथ पहुंचे भाजपा के जिला महामंत्री राजा मोर के साथ धक्का-मुक्की भी हुई। उन्होंने लाेगों को सांत्वना देने का प्रयास किया, लेकिन लोग उनकी सुनने तैयार नहीं थे। 
सासंद प्रतिनिधि के वाहनों में तोड़फोड़– इस संबंध में घटना स्थल से कुछ दूरी पर रहने वाले महेन्द्र पाल भदौरिया ने बताया कि उनका बेटा वीरेन्द्र पाल ग्राम का सरपंच है और सांसद प्रतिनिधि है। हादसे के बाद पुलिस ने उनके घर में फायरिंग की और घर के बाहर खड़ी दो कारों व आधा दर्जन दोपहिया वाहनों में जमकर तोड़फोड़ की। इसके अलावा कई घरों में गेट तोड़कर लोगों से मारपीट गई।
आधा दर्जन घायल अस्पताल में- हादसे में घायल होने वालों में इन्द्र कुमार पटेल, मुकेश गर्ग, सुनील अग्रवाल, राजेन्द्र कोरी, राजकुमार यादव, एएसआई तमाम लोग अस्पताल में भर्ती हुए थे 

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