तीसरी बार बनेगा शिवराज का मंत्रिमंडल, पर सत्र चलाने में परेशानी, कैबिनेट विस्तार है जरुरी, पर जनता से जुड़े मुद्दों पर दो गज की दूरी 

तीसरी बार बनेगा शिवराज का मंत्रिमंडल, पर सत्र चलाने में परेशानी, कैबिनेट विस्तार है जरुरी, पर जनता से जुड़े मुद्दों पर दो गज की दूरी 

भोपाल/गरिमा श्रीवास्तव:– मध्यप्रदेश में कल शिवराज कैबिनेट का तीसरी बार विस्तार होने जा रहा है,, प्रदेश की सत्ता संभालने के 9 महीने बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तीसरी बार कल 3 जनवरी को मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे.. 
 हाल ही में होने वाले शीतकालीन सत्र को इस भाजपा सरकार में कोरोना का हवाला देकर टाल दिया था. पर शिवराज में  विधानसभा में नए विधायकों को शपथ ग्रहण कराई और अब कैबिनेट का विस्तार भी करने जा रहे हैं. ऐसा लगता है कि शिवराज जनता से जुड़े मुद्दों पर बहस करने से पीछे भागते हैं इसीलिए उन्होंने सत्र को टाल दिया.. 
 28 विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक तीन मंत्रियों के हार जाने के बाद अब कैबिनेट में छह मंत्रियों के लिए जगह बन सकती है. तो वहीं संभावना जताई जा रही है कि सिर्फ सिंधिया समर्थकों ने दो पूर्व मंत्रियों को भी शपथ दिलाई जाएगी जिन्होंने बिना विधानसभा सदस्य बने मंत्री बनकर 6 माह का कार्यकाल पूरा होने पर उपचुनाव से पहले अक्टूबर में इस्तीफा दिया था. 
 उपचुनाव हारने वाले ऐन्दल सिंह कंसाना पहले ही मंत्री पद छोड़ चुके हैं तो वही इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया भी उपचुनाव हार जाने के बाद विधायक नहीं बन पाए उन्होंने भी अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को सौंप दिया है. 

 कैबिनेट में 6 पद होंगे खाली :- 
 कंसाना के मंत्री पद छोड़ने के बाद और इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया के हार जाने के बाद कैबिनेट में 4 पद खाली हुए हैं. 
 पर संभावनाएं बन रही है कि सिर्फ सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह और तुलसीराम सिलावट को ही शपथ दिलाई जाएगी.. 

 6 पद खाली और दावेदारों की संख्या हो गई अधिक:- 

 उपचुनाव में जीत से सत्ता सुरक्षित करने के बाद मंत्रिमंडल में जातीय व भौगोलिक संतुलन बनाने की इस बार चुनाव की नजर आ रही है बता दें कि सिर्फ 6 पद खाली हैं पर दावेदारों की संख्या अधिक है. जिसे देखकर ऐसा लग रहा है कि एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति हो चुकी है. इंडिया के महत्व के कारण उनके 14 समर्थकों को मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया. जिसमें से तुलसीराम सिलावट और गोविंद राजपूत संवैधानिक बाध्यता के कारण इस्तीफा दे चुके हैं और वही एंदल सिंह कंसाना इमरती देवी और गिर्राज दंडोतिया चुनाव हार चुके हैं..

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