इंदौर का सोनू सूद :- सब कुछ छोड़ मरीजों के परिजनों के सेवा में जुटे संजय राजानी, पैसा नहीं दुआएं कमा रहे

इंदौर का सोनू सूद :- सब कुछ छोड़ मरीजों के परिजनों के सेवा में जुटे संजय राजानी, पैसा नहीं दुआएं कमा रहे

इंदौर/गरिमा श्रीवास्तव:- इंदौर के संजय राजानी ने इस कोरोना महामारी के दौरान जो जिम्मा उठाया है वह बेहद सराहनीय है. पैसा भले नहीं कमा पाऊं लेकिन आज लोगों की जो दुआएं मिल रही है वह मेरे लिए किसी बड़ी दौलत से कम नहीं है। मेरे पिता फाल्गुन दास जी ने सेवा का जो मंत्र दिया था वह मुझे सुकून देता है. आज के कठिन दौर में हम सब मिलकर एक एक पीड़ित की जिम्मेदारी भी नहीं तो यह परेशानी जल्दी दूर हो जाएंगी यह कहना है इंदौर के संजय राजानी का.

कोरोना संक्रमण में इंदौर में एक बार फिर से लॉक डाउन की स्थिति बन रही है. मंत्री तुलसी सिलावट ने आज इसके संकेत दिए हैं कल क्राइसिस मैनेजमेंट की मीटिंग के बाद लॉकडाउन पर फैसला लिया जाएगा.

इस महामारी के सबसे कठिन दौर में जब लॉकडाउन के हालात बन गए तब संजय राजानी की चलती फिरती नेकी की दीवार कोविड मरीजों के परिजनों के लिए अस्पताल के बाहर सेवा के लिए मौजूद रहती है.

 संजय राजानी कभी कपड़े की दुकान चलाते थे. उनके पास सब्जी के दो ठेले हैं. पर इन दिनों वह सब कुछ छोड़कर कोविड-19 मरीजों के परिजन,चौराहे पर ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों और दूसरे जरूरतमंदों के लिए चाय पानी और भोजन का पूरा इंतजाम करते हैं.

 वह सुबह सुबह खुद एक ऑटो में 20 लीटर चाय दो कैन पानी लेकर निकलते हैं सुबह 10:00 बजे से दोपहर 3:00 बजे तक अस्पतालों के बाहर आवाज लगा लगा कर लोगों को मुफ्त चाय पीने के लिए बुलाते हैं. इसके बाद रात में जरूरतमंदों को पुलाव बटवाते हैं. उनका कहना है कि उन्हें पैसे नहीं कमाना है जो दुआएं मिल रहे हैं वह उनकी सबसे बड़ी दौलत है.

 संजय ने यह बात बताई कि पैसों का प्रबंध वह अपनी आय और 67 मित्रों के सहयोग से करते हैं जो हर महीने 1000- ₹2000 देते हैं.

 कुछ दिन पहले ही उन्होंने कोविड-19 से पीड़ित महिला को ऑटो से अस्पताल भी पहुंचाया था रात 12:00 बजे से 3:00 बजे तक कई अस्पतालों में गए जिसके बाद बहुत मुश्किल से बेड मिला उनके ऑटो पर लिखे नंबर के कारण कई लोग उन्हें मदद के लिए फोन लगाते हैं.

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