जबलपुर से अजय पिंटू शुक्ला की रिपोर्ट:-जबलपुर जिले की मझौली तहसील के ग्राम पंचायत रोसरा का मामला रोसरा नयागांव बचाया मार्ग एक मात्र रास्ता है जिस रोड से बस, किसान एवं बाजार के लिए एक ही मुख्य मार्ग है जो कि रोड के परखच्चे उड़ चुके हैं जिसकी वजह सेे आमजन को साथ ही क्षेत्र के लोगों को जाने में एवं निकलने में बहुत ही दिक्कतों का मुसीबतों का सामना करना पड़ता है.
बरसात में बसों का आवागमन तक रुक जाता है एवं ग्राम पंचायत द्वारा कार्य कराया जा रहा है लेकिन ना ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधि ना सचिव ना सरपंच ना सहायक सचिव रोसरा नयागांव बचाया मार्ग किसी को भी यह रोड नहीं दिखाई दे रहा है क्योंकि रोड ग्राम पंचायत द्वारा ग्राम सिंदूर ग्राम संपर्क महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत सिहोरा से बचाया मार्ग जो कि पीडब्ल्यूडी का रोड है और जिसमें की ग्राम पंचायत द्वारा उसी के ऊपर से जेसीबी लगाकर करीबन 180 ट्राली मुरूम उस रोड में डाली गई. यह जो रोड लागत 13 लाख 50,000 रुपया में वर्ष 2017 20 18 इंजीनियर राजेश कोठार की मिलीभगत से पास कराई गई थी यह रोड प्रगति पर है, इस रोड को पीडब्ल्यूडी रोड में किसी का आना जाना नहीं है.
लेकिन ग्राम पंचायत द्वारा जो रोसरा नयागांव बचाया मार्ग जोकि क्षेत्र के करीब 10 से 15 गांव को यह रोड अपनी बाजार मार्केट करता है यह रोड 40 साल से आज तक कोई भी निर्माण नहीं हुआ यह रोड रोसरा से नयागांव 2 किलोमीटर इतनी गंदी स्थिति है कि निकलने में बहुत सी सावधानी रखनी पड़ती है अन्यथा बहुत ही समस्याओं का सामना करना पड़ता एवं ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों सिर्फ कागजों पर विकास का दिखा रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पूरे देश में रोडो का जाल बिछाया जा रहा है लेकिन जबलपुर जिले की मझौली तहसील के ग्राम रोसरा नयागांव बचाया मार्ग बहुत ही दयनीय स्थिति पर है.
यहां की स्थिति जस की तस है प्रशासन ने पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है. पर इनकी चुप्पी का भुगतान ग्राम वासियों को भुगतना पड़ रहा है.
द लोकनीति ने इससे पूर्व भी इस से संबंधित खबरों को प्रमुखता से छापा था..