- हिंदुस्तान का पैसे लेकर भागे ये लोग विदेश में जी रहें आराम की ज़िंदगी
- खा गए ये लोग आपकी मेहनत की कमाई !
- क्या यहीं अच्छे दिन देखना रह गए थे बाकी ?
- RBI ने जारी किया बैंक डिफाल्टरों का विवरण
नई दिल्ली / खाईद जौहर – सुप्रीम कोर्ट के आदेश के चार साल बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने आखिरकार बैंक डिफाल्टरों के विवरण जारी कर दिए हैं। जो आज देश से बाहर विदेश में अपनी ज़िंदगी ऐश ओ आराम से जी रहे हैं। दरअसल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने ‘द वायर’ को सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी के तहत उन 30 बड़े बैंक डिफॉल्टरों के विवरण दिए हैं। जिसने जानबूझकर बैंकों का लोन नहीं लौटाया हैं।
रिजर्व बैंक ऑफ़ ने जानकारी देते हुए उन 30 बड़े डिफाल्टरों के विवरण दिए हैं। इन 30 कंपनियों के पास कुल 50,000 करोड़ रूपये से ज्यादा का बकाया हैं। बता दे कि ये जानकारी रिजर्व बैंक ने 30 अप्रैल 2019 तक दी हैं।
इन 30 डिफाल्टरों में हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी और नीरव मोदी की कंपनियों के भी नाम हैं।
RBI लिस्ट के मुताबिक गीतांजलि जेम्स 5044 करोड़ की रकम के साथ सबसे ऊपर है, जबकि डायमंड पॉवर इन्फ्रास्ट्रक्चर 869 करोड़ रुपये के साथ सबसे आखिरी पायदान पर हैं। गीतांजलि जेम्स के अलावा लिस्ट में रोटोमैक ग्लोबल, जूम डेवलपर्स, डेक्कन क्रॉनिकल होल्डिंग्स, विनसम डायमंड्स, आरईआई एग्रो, सिद्धि विनायक लॉजिस्टिक्स और कुडोस केमी के भी नाम शामिल हैं
विलफुल डिफॉल्टर लिस्ट में अन्य कई कंपनियों के नाम भी शामिल हैं। ऐसी कंपनियों में एबीजी शिपयार्ड, रूचि सोया इंडस्ट्रीज, हनुंग टॉयज एंड टेक्सटाइल्स, एस कुमार्स नेशनवाइड और केएस ओल्स लिमिटेड शामिल हैं। फ़िलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि इनके प्रमोटरों की ओर से भी कोई गलत काम किया गया है या नहीं।
बता दें कि दिसंबर 2017 में IDBI बैंक ने रूचि सोया इंडस्ट्रीज को विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया था।
वहीं, सिबिल डेटा के मुताबिक दिसंबर 2018 तक 11,000 कंपनियों के पास कुल 1.61 लाख करोड़ से ज्यादा की रकम का बकाया हैं। RBI द्वारा जारी विलफुल डिफॉल्टर का डेटा केंद्रीयकृत बैंकिंग प्रणाली डेटाबेस से आता है जिसे ‘CRILC’ सेंट्रल रिपॉजिटरी ऑफ इन्फॉरमेशन ऑन लार्ज क्रेडिट्स कहा जाता हैं। यह पांच करोड़ से ऊपर की उधारी देने वाले सभी उधारकर्ताओं की क्रेडिट जानकारी का एक केंद्रीयकृत पुल हैं।
उधर, रिजर्व बैंक ने 30 डिफाल्टर कंपनियों की लिस्ट और उनपर कुल बकाया राशि का विवरण दिया है लेकिन यह नहीं बताया है कि कितनी राशि बैड लोन हैं। जबकि, RBI के मुताबिक, कुछ कंपनियां कथित रूप से उस सूची का हिस्सा हैं जो आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने प्रधानमंत्री कार्यालय को दी थीं। राजन ने कथित तौर पर जांच एजेंसियों द्वारा बैंक फ्रॉड के मामले में त्वरित कार्रवाई कराने के मकसद से एक सूची पीएमओ में दी थी।