सूदखोरी के बढ़ते आलम में दबता ग़रीब, 3 साल में हुई 60 आत्महत्याएं
अलिशा सिन्हा की रिपोर्ट
भोपाल. सूदखोरी की इस खबर को “पत्रिका” ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है जिसके मुताबिक तीन साल के सरकारी आंकड़ें बेहद चौकाने वाले सामने आए है। बता दें कि सूदखोरी की प्रथा कोई नई बात नही है बल्कि ये बेहद पुरानी है जिसमें शोषित होता है-गरीब,मज़दूर,किसान,आदिवासी। जो अपनी परिस्थितियों से हारकर साहूकारों से कर्ज़ तो ले लेता है लेकिन उसे वापस करने जैसी स्थिति उस ग़रीब की बन नही पाती और फिर साहूकारों की प्रताड़ना से तंग आकर वो अपनी जान दे देता है। अब प्रदेश सरकार ने हाल ही में सूदखोरी से प्रताड़ना और आत्महत्या जैसे आंकड़ें जुटाए है जो बेहद चिंताजनक है
क्या कहते हैं आंकड़ें
- प्रताड़ना से परेशान होकर आत्हत्या करने की संख्या- 60
- सूदखोरों पर दर्ज हुए प्रकरण की संख्या- 144
- न्यायलय में चालान प्रस्तुत प्रकरण की संख्या- 126
- सूदखोरों पर प्रकरण दर्ज होने की संख्या- 340
- अब भी पुलिस में लंबित प्रकरण की संख्या- 19
- कोर्ट से मिली सजा की संख्या- 5
- न्यायालय में लंबित प्रकरण की संख्या- 112
आत्महत्या करने वाले कर्ज़दारों की संख्या
इंदौर- 15, उज्जैन-5, रतलाम-5, होशंगाबाद-5, विदिशा-4, शाजापुर-4, सागर-3, दमोह-3, छतरपुर-2,रायसेन-2, राजगढ़-2, नीमच-2, छिंदवाड़ा-1, सिवनी-1, जबलपुर-1, धार-1,देवास-1
क्या कहां गृहमंत्री, बाला बच्चन ने
बाला बच्चन ने कहा कि “प्रदेश में माफिया के खिलाफ कार्रवाई चल रही है। इसमें सूदखोरों के खिलाफ अभियान भी शामिल है। अभी तक 150 लोगो पर कार्रवाई हो चुकी है। कानून और सख्त बनाया जाएगा इसके लिए समीक्षा की जा रही है, जिससे सूदखोर लोगों से जबरिया वसूली न कर पाएं।