भोपाल: शहर में धीरे-धीरे बढ़ रहे वायु प्रदुषण से सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। हवा में घुल रहे ज़हर से कैंसर जैसी घातक बीमारी होने का खतरा है। जिसकी मुख्य वजह वाहनों से होने वाला अधिक मात्रा में वायु प्रदुषण। ऐसे में जनता को मास्क पहनकर घर से निकलना जरुरी हो गया है।
राजधानी भोपाल में केवल 17.5 लाख वहां रजिस्टर्ड हैं, जिसमें से लगभग 12 लाख वाहन शहर में ही चल रहे हैं। इन हालातों में अब हेलमेट के साथ साथ मास्क पहनकर चलना आवश्यक हो गया है। पर्यावरणविद डॉ. सुभाष सी पांडेय ने 24 फरवरी को पोर्टेबल मशीन से शहर में 13 स्थानों से रैंडम सैंपल लिए। इसकी जाँच के दौरान पीएम 2.5 के बारीक़ पार्टिकल्स की मात्रा ज्यादा पाई गई।
इन स्थानों में कहीं की भी वायु की गुणवत्ता सीपीसीबी (CPCB) द्वारा निर्धारित मानकों के अनुरूप नहीं पाई गई। इसके विपरीत हालत बहुत गंभीर हैं। सभी सैम्पलिंग स्टेशन में लिए गए पीएम 2.5 घातक धूलकणों का औसत 138 रहा, जोकि तय मानकों से दोगुने से अधिक है। सबसे ज्यादा प्रदुषण लालघाटी चौराहे पर रहा, जहां पीएम 2.5 का मान 265 और पीएम 10 कणों का मान 464 मिला।
कैंसर विशेषज्ञ डॉ. श्याम अग्रवाल ने बताया, “वाहनों से निकलने वाले धुंए में ऐसे कंपाउंड भी होते हैं, जो हमारे जीन्स को डैमेज करते हैं। लगातार इनके प्रभाव के आने से हमारी कोशिकाएं शरीर के नियन्त्र से बाहर हो जाती हैं, और वह अनियंत्रित तरीके से विभाजन करने लगती हैं। और यही कैंसर होता है। बजार में अच्छी गुणवत्ता के मास्क उपलब्ध हैं जो पार्टिकल्स को अंदर नहीं आने देते।”
क्या हैं पीएम 2.5 पार्टिकल्स?
पीएम 10 हवा में मौजूद ऐसे कण हैं, जो एक समय के बाद नीचे बैठ जाते हैं। वहीँ दूसरी और पीएम 2.5 ऐसे पार्टिकल्स होते हैं जो बेहद बारीक और ऊंचाई तक उठते हैं और अहवा में बने रहते हैं। वाहनों के चलने से इनकी मात्रा लगातार बढ़ती जाती है। जिसके कारण ये सांसों के साथ न केवल फेफंडे बल्कि खून तक पहुँच जाते हैं। यह पार्टिकल्स कैंसर का कारण होते हैं, जिनसे अस्थमा से ज्यादा कैंसर होने का खतरा होता है।