इस्लामाबाद/छवि लोचव: बीते दिन शुक्रवार को पाकिस्तान की संसद ने एक प्रस्ताव पारित किया। जिसमे बच्चों के खिलाफ बढ़ रहे यौन उत्पीड़न और हत्या के मामलो के दोषियों को सरेआम सड़क पर फांसी देने की मांग की है। इस प्रस्ताव में 2018 में हुई एक घटना का जिक्र किया गया है। दरअसल खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के नौशेरा इलाके में एक बच्ची का यौन उत्पीड़न कर उसकी बेरहमी से हत्या करने का मामला सामने आया था, जिसके बाद इस कानून को बनाने की मांग की गयी। पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के सांसदों को छोड़कर सभी ने इसका समर्थन किया एवं बहुमत के साथ इस प्रस्ताव को पारित कर दिया गया।
यह प्रस्ताव संसदीय मामलों के राज्य मंत्री अली मोहम्मद खान ने सदन में पेश किया, जिसमें बच्चों से यौन उत्पीड़न तथा हत्या की कड़ी निंदा की गई। पूर्व प्रधानमंत्री तथा पीपीपी के नेता रजा परवेज अशरफ़ का कहना है कि सजा से अपराधों को कम नहीं किया जा सकता और सरेआम सड़क पर फांसी देना सयुंक्त राष्ट्र के नियमों का उल्लंघन करना है। उन्होंने कहा ‘सजा की गंभीरता को बढ़ाने से अपराध में कमी नहीं आती है।’
यौन उत्पीड़न एवं हत्या के 1304 मामले सामने आए
पाकिस्तान में जनवरी से जून के बीच यौन उत्पीड़न एवं हत्या के 1304 मामले सामने आये। पिछले साल सितम्बर में बाल अधिकार संगठन साहिल द्वारा जारी एक रिपोर्ट में यह बताया गया।
इस प्रस्ताव में कहा गया,‘यह सदन बच्चों की इन शर्मनाक और बर्बर हत्याओं पर रोक की मांग करता है और कातिलों तथा बलात्कारियों को कड़ा संदेश देने के लिए उन्हें न सिर्फ फांसी देकर मौत की सजा देनी चाहिए बल्कि उन्हें तो सरेआम फांसी पर लटकाना चाहिए'। इस प्रस्ताव की दो मंत्रियों (विज्ञान मंत्री फवाद चौधरी और मानवाधिकार मंत्री शिरीन माजरी) ने निंदा की जो मतदान के समय सदन में मौजूद नहीं थे।