राज्यसभा चुनाव के बाद और तेज़ हुई उच्च शिक्षित अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण की मांग!

 

भोपाल/गरिमा श्रीवास्तव :- राज्यसभा चुनाव के बाद प्रदेश के उच्च शिक्षित अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण एवं फ़ालेंन आउट अतिथिविद्वानों की बहाली की मांग एक बार पुनः ज़ोर पकड़ती दिख रही है।फ़ालेंन आउट होकर बवरोजगार हो जाने से आज प्रदेश के लगभग 1800 अतिथि विद्वानों के सामने जीवन मरण का प्रश्न खड़ा हो गया है।अतिथि विद्वान नियमितीकरण का हाई प्रोफाईल आंदोलन अंततः कांग्रेस सरकार के गिरने का तात्कालिक कारण बनकर उभरा।

शाहजहानी पार्क भोपाल में आंदोलन का सैकड़ा पूरा करने वाले इस आंदोलन ने सत्ता की जड़ों को हिलाकर रख दिया और पूरे वर्ष सिर्फ़ और सिर्फ़ अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण का मामला सड़क से लेकर सदन तक गूंजता रहा,इसी बीच कई अतिथि विद्वानों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।उमरिया के संजय कुमार,शहडोल के अजय त्रिपाठी,खरगोन के सुनील चौहान आदि लोगों ने अनिश्चित भविष्य,आर्थिक बदहाली और नौकरी से निकाल दिए जाने के कारण बेरोजगारी का दंश झेलते हुए अपने प्राण तक त्याग दिए।ऐसे ही कई महिला विद्वानों को गंभीर बीमारी के कारण अभी तक नाजुक हालत बनी हुई है,वे अटैक,पैरालसिस जैसे गंभीर बीमारी की शिकार हुई हैं।अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक वा संघ के अध्यक्ष देवराज सिंह ने सरकार से प्रार्थना की है कि फ़ालेंन आउट अतिथि विद्वानों की लंबित सूची तत्काल जारी करते हुए लगातार विद्वानों की हो रही आत्महत्या को सरकार रोके यह सरकार की नैतिक जिम्मेदारी भी है।


1800 फालेन आउट अतिथि विद्वानों के साथ साथ 1800 उनके परिवार पर रोज़ी रोटी का संकट
 अध्यक्ष सुरजीत सिंह भदौरिया के नेतृत्व में काम कर रहे टीम के सदस्य डॉ आशीष पांडेय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री माननीय शिवराज जी अविलंब फ़ालेंन आउट सभी अतिथि विद्वानों को सेवा में बहाल करते हुए 1800 अतिथि विद्वानों के साथ उनके 1800 परिवारों को अभयदान देते की महान कृपा करें।शिवराज जी एवं श्रीमंत सिंधिया जी के साथ साथ पूरी सरकार अतिथि विद्वानों के संघर्ष के साक्षी रहे हैं,ये संघर्ष पिछले दो दशकों से अनवरत जारी है।इसलिए निवेदन है कि आदरणीय शिवराज जी तत्काल विद्वानों को व्यवस्था में लेते हुए नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू करें।

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