मध्यप्रदेश/जबलपुर(Jabalpur) – : कोविड-19(Covid) संक्रमण की रोकथाम में लापरवाही करने बाले प्रभारी जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सीएमएचओ(CMHO) डॉ. मनीष मिश्रा(Dr.Manish misra) को भारी पड़ गया। लगातार गड़बड़ी और शिकायत पर स्वास्थ्य विभाग ने डॉ. मनीष मिश्रा से प्रभार को अब छीन लिया है। अब उन्हें पद रेडियोलॉजिस्ट पर विक्टोरिया अस्पताल भेजा गया है। इसके पहले विक्टोरिया अस्पताल में आने वाले कोरोना(Corona) संदिग्धों की जांच में लापरवाही पर सिविल सर्जन डॉ. राजकुमार चौधरी(Dr.Rajkumar chodhri) को भी (CM) ने प्रभार से मुक्त कर दिया था। स्वास्थ्य विभाग ने दोनों स्वास्थ्य अधिकारियों को हटाने के साथ नए प्रभारियों की नियुक्ति पर मुहर भी लगा दी है। आदेश जारी कर विक्टोरिया अस्पताल में मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. रत्नेश कुररिया(Dr.Ratnesh kurariya) को प्रभारी सीएमएचओ और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सीबी अरोरा(Dr.CB Arora) को जिला अस्पताल के सिविल सर्जन का प्रभारी बना दिया है। आदेश मिलते ही दोनों नव नियुक्त प्रभारी कलेक्टर भारत यादव(BHarat Yadav) से मुलाकात करने पहुंचे।अब कुररिया और अरोरा अपना -अपना पद समलेगे संभालेंगे।
अब थर्मल स्कैनर खरीदी में भी कसा शिकंजा : कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए थर्मल स्कैनर खरीदी की फाइल अटकने के साथ ही सीएमएचओ राडार में आ गए थे। अब कहा जा रहा है कि स्कैनर खरीदी में एक प्रभावशाली नेता की दिलचस्पी थी।जब इसकी जानकारी लगी तो सीएमएचओ ने इस संबंधित कम्पनी के प्रतिनिधि को बुलाकर खरीदी प्रक्रिया पूरी की।और इसके साथ राजनेता को साधने की कोशिश की। परन्तु ये कोरोना के मोर्चे पर लगातार गड़बड़ करते चले गए।लेकिन सत्ता पक्ष से जुड़े एक डॉक्टर के साथ ही राजनेताओं को जब गंभीर गड़बड़ी की शिकायत मिली तो मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचाया गया। जिसके बाद डिस्चार्ज के आंकड़े में गड़बड़ी और कुछ दिनों से संक्रमितों की संख्या लगातार बढऩे पर शिकंजा कस गया। मामले में दो दिन पहले कलेक्टर की ओर से नोटिस जारी किया गया।
कई दिनों से हो रहा था खेल : एक निजी अस्पताल में भर्ती करने के बाद विक्टोरिया अस्पताल रेफर किए गए कोरोना पॉजिटिव मरीज की मौत के बाद संदिग्ध कार्यप्रणाली को लेकर सीएमएचओ निशाने पर आ गए थे।
ये विवाद बने वजह
1 – : कोरोना टेस्ट से जांच के लिए निजी लैब को अनुमति के मामले में दोनों अधिकारियों के बीच तनातनी। एक निजी लैब के कर्मी से मारपीट के बाद उठे था ये आरोप।
2 – : विक्टोरिया अस्पताल के आरएमओ को सुखसागर क्वारंटीन सेंटर भेजने के आदेश को 24 घंटे के अंदर पलटना।
3 – : जिले में संविदा कर्मियों का निलंबन और निष्कासन करने के दो दिन के बाद अचानक सभी को बहाल करने के निर्देश देना।
4 – : कोरोना संदिग्धों के नमूने लेने में लगातार लापरवाही। उपाय करने में सख्ती नहीं।
5 – : कोरोना सर्वे में मनमानी। संक्रमण के फैलाव के बीच अचानक एक दिन सर्वे रोक देना।
6 – : एनआइआरटीएच से सीएमएचओ को मिलने वाली कोरोना पॉजिटिव मरीजों की गोपनीय जानकारी का लीक होना।
7 – : संक्रमण की रोकथाम के बीच झोलाछाप डॉक्टरों का जांच अभियान चलाना।