बुधवार को गुजरात विधानसभा में नानावटी आयोग की रिपोर्ट पेश की गयी जिसमे उस समय के रहे मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी समेत उनके 3 मंत्रियों को क्लीनचिट दे दी गयी है।
2002 के गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों की जाँच के लिए गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने 6 मार्च 2002 को नानावटी मेहता आयोग का गठन किया था।
इस आयोग की रिपोर्ट का पहला हिस्सा 2008 में पेश किया गया था,इसमें भी मोदी के साथ उनके मंत्री और कुछ अफसरों को क्लीनचिट दे दी गयी थी।
गुजरात के गृह मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने नानावटी आयोग की रिपोर्ट गुजरात विधानसभा में रखी,रिपोर्ट पेश करने के पश्चात एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जडेजा ने बताया कि “आयोग ने स्पष्ट कर दिया है की दंगे पूर्व नियोजित नहीं थे ,नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रियों को क्लीनचिट दे दी गयी है। साथ ही साथ तीन पुलिस अधिकारियों आरबी श्रीकुमार ,संजीव भट्ट ,और राहुल शर्मा पर सवाल उठाये गए हैं। एवं इनअधिकारियों के खिलाफ जाँच की भी सिफारिश की गयी है।
लगभग 3000 पन्नों की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस अधिकारियों की संख्या काफी कम थी जिससे अधिकारी दंगा करने वाली भीड़ को काबू करने में अक्षम रहें ,उनके पास हथियार भी पर्याप्त नहीं थे।
जडेजा ने बताया कि दंगे होने के बाद गुजरात की छवि खराब करने की कोशिश गयी है।
गुजरात दंगा –
गोधरा कांड में हुए दंगों में करीब एक हज़ार से ज्यादा लोग मारे गए थे । 2002 में हुई गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस में लगी आग में काफी लोगों की मौत हो गयी थी ।
इस दंगे में मरने वालों की संख्या में ज्यादातर मुस्लमान मौजूद थे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दंगे में 1044 लोगों की मौत हो गयी जिसमे 790 मुसलमान थे हुए 254 हिन्दू।
गुजरात के दंगे के मामले में 450 से ज्यादा लोगों को अदालत ने दोषी ठहराया। जो अधिकारी इस दंगे की जाँच में शामिल थे, नानावटी आयोग ने उन अधिकारियों के खिलाफ जाँच की सिफारिश दायर की है ,इस तरह की आयोग द्वारा की गयी सिफारिश ज़हन काफी तरह के सवाल खड़े करती है।