Corona Update : सांसद निधि फण्ड दो साल के लिए स्थगित ,इनसे मिलने वाले 7900 करोड़ रुपए कोरोना से लड़ने में होंगे इस्तेमाल

Bhopal Desk ,Gautam Kumar

भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) का कहर जारी है। इस बीच सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अध्यक्षता में कैबिनेट मीटिंग का आयोजन किया गया। कोरोना वायरस और लॉकडाउन की वजह से पहली बार बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गई। इस बैठक में कई अहम् फैसले लिए गए। कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बैठक में लिए गए फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि देश में जारी कोरोना संकट को देखते हुए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सभी सांसद एक साल तक अपने वेतन (Salary) में 30% तक कटौती करेंगे। 

राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल और उपराज्यपाल की सैलरी में स्वेच्छा से 30 फीसदी की कटौती की गई है। वहीं बैठक में लिए गए दूसरे फैसले के अनुसार दो साल के लिए MPLAD फंड को खत्म कर दिया गया है। इस फंड का इस्तेमाल कोरोना वायरस से लड़ने में किया जाएगा। 2 साल के लिए MPLAD फंड के 7900 करोड़ रुपए का उपयोग भारत की संचित निधि में किया जाएगा। बता दें कि लोकसभा और राज्यसभा के हर सांसद को अपने क्षेत्र के विकास के लिए हर साल 5 करोड़ रुपए मिलते हैं। इसे MPLAD फंड कहा जाता है। इसको लेकर केंद्र सरकार आज अध्यादेश जारी करेगी। जावड़ेकर ने विषय में जानकारी देते हुए बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसद अधिनियम, 1954 के सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन में संशोधन के अध्यादेश को मंजूरी दे दी। 1 अप्रैल, 2020 से एक साल के लिए भत्ते और पेंशन को 30 फीसदी तक कम किया जाएगा। 

बैठक में लिए गए दूसरे फैसले के अनुसार दो साल के लिए MPLAD फंड को खत्म कर दिया गया है। इस फंड का इस्तेमाल कोरोना वायरस से लड़ने में किया जाएगा।

कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए सोमवार को केंद्रीय कैबिनेट (Union Cabinet) की बैठक का आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (video conferencing) के जरिए कराया गया। बैठक की अध्‍यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। पहली बार मंत्रिमंडल की बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित कराई गई|

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री जावड़ेकर ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया, ‘दो साल के लिए सांसद निधि स्‍थगित कर दी गई है। राष्‍ट्रपति-उपराष्‍ट्रपति-राज्‍यपाल भी 30 फीसद कम सैलरी लेंगे।’  उन्‍होंने कहा, 'राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यों के राज्यपालों ने स्वेच्छा से सामाजिक ज़िम्मेदारी के रूप में वेतन कटौती का फैसला किया है। यह धनराशि भारत के समेकित कोष में जाएगा।' 

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