मध्यप्रदेश – प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव से पहले हाईकोर्ट ने बड़ा सुनाया हैं। दरअसल, हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें मप्र की उन नगर निगम, नगर पंचायत और नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष के लिए हुए आरक्षण को ये कहते हुए चुनौती दी गई कि यह निकाय लगातार दूसरी बार एसटी अथवा एससी वर्ग के लिए आरक्षित किए गए हैं। इसमें उज्जैन और मुरैना नगर निगम के साथ 79 नगरपालिका व नगर परिषद शामिल हैं।
हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया हैँ। नगरीय निकायों में अध्यक्ष और महापौर के आरक्षण के लिए पिछले साल 10 दिसंबर को जारी नोटिफिकेशन के उस भाग पर रोक लगा दी है, जिसमें अजा-जजा के लिए लगातार दूसरी बार आरक्षित किया गया हैं।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिका के लंबित होने के चलते नए सिरे से रोटेशन पद्धति को अपनाते हुए आरक्षण करने पर किसी प्रकार की कोई रोक नहीं रहेगी। इसके बाद चुनाव कार्यक्रम घोषित करने के साथ ही चुनाव कराया जा सकेगा। मामले की अगली सुनवाई अप्रैल में होगी।
कोर्ट के आदेश से प्रदेश के दो नगर निगम मुरैना व उज्जैन के महापौर और 79 नगर पालिका व नगर परिषद के अध्यक्ष पद के लिए हुआ आरक्षण प्रभावित होगा। साथ ही इस फैसले का सीधा असर प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा पर पड़ेगा। माना जा रहा था कि 15 मार्च तक निकाय चुनाव की घोषणा हो सकती हैं। लेकिन अब इस प्रकरण का निपटारा हुए बिना नगरीय निकाय के चुनाव की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकती। नगरीय निकायों में महापौर और अध्यक्ष का आरक्षण एक साथ होता हैं। इसमें आबादी व रोटेशन दोनों को आधार बनाया जाता हैं।