MP : इन 8 मांगों को लेकर 6 मेडिकल कॉलेज की 6000 नर्सेस ने जताया विरोध, 24 जून से काम बंद करने का ऐलान
मध्यप्रदेश – पिछले दिनों सात दिनों तक चली जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल को राज्य सरकार ने समझाइश देकर समाप्त करवा लिया। हड़ताल ख़त्म हो जाने से शासन रहत की साँस ले ही रहा था कि अब मध्यप्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेज की 6000 नर्सेस ने विरोध प्रदर्शन का एलान कर दिया हैैं। आज 9 जून को प्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेज में पदस्थ नर्सेस ने काली पट्टी बांधकर काम किया और विरोध जताया।
नर्सिंग कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ने उनकी सालों पुरानी मांगों को नहीं माना तो सभी सरकारी अस्पतालों में 24 जून से वह काम बंद कर देंगे। इस हड़ताल से सरकारी अस्पतालों पर असर पड़ेगा।
हालांकि, नर्सिंग कर्मचारी 10 जून से चरणबद्ध तरीके से अपना आंदोलन शुरू करेंगे। अगर इस बीच उनकी मांगों को नहीं माना गया तो 24 जून से नर्सिंग कर्मचारी काम बंद कर देंगे।
मध्यप्रदेश नर्सेस एसोसिएशन ने कहा है कि आंदोलन के दौरान इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि मरीजों को किसी तरह की परेशानी न हो।
ये हैं नर्सेस की मागें
पुरानी पेंशन योजना लागू की जाए।
मेल नर्स की भर्ती की जाए ।
मध्यप्रदेश में कार्यरत नर्सेस को एक ही विभाग में समान कार्य के लिए समान वेतन मान दिया जाए।
कोरोना काल में जान गंवाने वाले नर्सिंग स्टाफ के परिजन को अनुकंपा नियुक्ति देने के साथ साथ 15 अगस्त को कोरोना योद्धा अवार्ड से सम्मानित किया जाए ।
कोरोना काल में अस्थाई रूप से भर्ती की गई नर्सेस को नियमित किया जाए एवं प्राइवेट कम्पनी से लगाई गई नसों को भी उनकी योग्यता के अनुसार नियमित किया जाए क्योंकि कोरोना काल में इनके योगदान को भी भुलाया नहीं जा सकता।
वर्षों से लंबित पड़ी पदोन्नति को शुरू करते हुए नर्सेस की पदोन्नति की जाए और नर्सेस को डेजिग्नेशन प्रमोशन दिया जाए एवं अन्य राज्यो कि तरह नर्सेस के पद नाम परिवर्तित किए जाएं।
कोरोना काल में शासन स्तर पर जितनी भी घोषणा की गई उन पर अमल नहीं किया गया। नसेंस को सम्मानित करते हुए अग्रिम दो वेतन वृद्धि का लाभ उनकी सैलरी में लगाया जाए।
सरकारी कॉलेजों में सेवारत रहते हुए नर्सेस को उच्च शिक्षा हेतु आयु बंधन हटाया जाए एवं मेल नर्स को समान अवसर दिया जाए।
2018 के आदर्श भी नियमों में संशोधन करते हुए 70 % , 80 % एवं 90 % का नियम हटाया जाए एवं प्रतिनियुक्ति समाप्त कर स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरू की जाए।
बता दे कि अगर हजारों की संख्या में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में काम कर रहे नर्सिंग कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं तो स्वास्थ सुविधाओं पर उसका बड़ा असर पड़ सकता हैं।क्योंकि सरकारी अस्पतालों में वार्ड के अंदर मरीजों की पूरी देखभाल की जिम्मेदारी नर्सिंग कर्मचारियों की होती हैं।