मध्यप्रदेश:– मुख्यमंत्री अधिकारियों को जनता के साथ भले ही संवेदनशीलता के साथ व्यवहार करने की लाख नसीहतें दें, लेकिन कुछ अधिकारी उनकी इस मंशा को लगातार निराशाजनक साबित कर रहे हैं। दरहसल, मामला राजगढ़ तहसील के दलेलपुर का है जहा एक गांव में मोती राम वर्मा की 8 बीघा जमीन पर गांव का एक चौकीदार पिछले दो साल से कब्जा करके बैठा है। दलित परिवार ने थाने से लेकर कलेक्टर तक की गुहार लगा ली लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। इतना ही नहीं, आवेदन की कभी रिसिविंग तक नहीं मिली। थक हारकर परिवार ने अल्टीमेटम दिया कि यदि 15 दिन में समाधान नहीं मिला तो वह एसडीएम कार्यालय पर धरना देगा। बता दें की 24 जुलाई को एसडीएम को इसकी सूचना भी दे दी गई और 25 जुलाई से धरना शुरू भी हो गया। धरने के 5 दिन बीत गए लेकिन प्रशासन कि तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं की गई|
गुरुवार को जब यह लोग रैली निकालकर कलेक्टर साहब के कार्यालय पर पहुंचे तो कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ ने इनके साथ अभद्र व्यवहार किया। बता दें की कलेक्टर से मिलकर बात करने की बात कही, बस यही कलेक्टर साहब को नागवार गुजरा। तमतमाकर वे नीचे आए और सबसे पहले तो लोगों को धमकाया कि कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन करके आखिरकार कैसे यहां आ गए और किसकी अनुमति से धरना दे रहे हैं। एक दलित को मास्क न लगाने पर गलत भाषा का प्रयोग कर मास्क लगाने को कहा। वहीं वीडियो बना रहे एक दूसरे व्यक्ति को जिला पंचायत केदार सिंह ने देखा और उसका मोबाइल छीन लिया। बाद में ज्ञापन लेकर इन लोगों को वहां से रवाना कर दिया गया।
अपने साथ हुए इस व्यवहार को लेकर दलित समाज के लोग आक्रोशित हैं और वे शुक्रवार से आंदोलन की राह पकड़ने की बात कर रहे हैं। कलेक्टर के इस व्यवहार को लेकर कांग्रेस ने ट्वीट किया है। कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने लिखा है” राजगढ़ में दबंगों द्वारा दलितों की जमीन पर कब्जे किए जाने के खिलाफ विगत 5 दिनों से धरने पर बैठे दलित मित्रों को कलेक्टर ने किया बेइज्जत, मोबाइल छीने कहा’ मास्क तो ऊपर कर ले बे।’ कहा क्या यह किसी शिक्षित कलेक्टर की भाषा हो सकती है।’
तो वहीँ जयवर्धन सिंह ने भी बीजेपी पर निशाना साधा और कहा की शिवराज सरकार में जनता का शोषण हो रहा है|