भोपाल : मध्यप्रदेश में होने वाले चुनावों की तारीखों का ऐलान होने से पहले ही दोनों दलों ने रणनीति तेज करने के साथ नेताओं की तैनाती भी शुरू कर दी थी। क्योंकि ये उपचुनाव को 2023 की सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा है। हालांकि, प्रदेश सरकार को इस उपचुनाव में हार-जीत से ज़्यादा कोई असर नहीं पड़ेगा। फिर भी यह चुनाव दोनों दलों के लिए प्रतिष्ठा का है।
खबरों की मानें तो उपचुनाव से पहले कराए गए सर्वे के नतीजों ने सत्ताधारी पार्टी के नेताओं की नींद उड़ा दी है। BJP द्वारा कराए गए सर्वे के मुताबिक BJP खंडवा लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में जीत हासिल कर सकती है, जबकि विधानसभा उपचुनावों के नतीजे पार्टी के लिए किसी बुरे सपने के तरह हो सकते हैं। यही वजह है कि पार्टी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को उपचुनाव वाले क्षेत्रों में मोर्चा संभालने के लिए उतार दिया है।
उपचुनाव में सबसे लोकप्रिय सीट है खंडवा
बता दे कि इस उपचुनाव में सबसे लोकप्रिय सीट खंडवा लोकसभा की मानी जा रहीं हैं। इस लोकसभा सीट पर BJP का कब्जा रहा है। BJP के नंदकुमार सिंह चौहान यहां से सांसद थे, लेकिन कोरोना काल में उनका निधन होने से यह सीट खाली है। यहां पर BJP को सहानुभूति वोट मिलने की उम्मीद है, लेकिन नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन पूर्व मंत्री के अलावा अर्चना चिटनीस और कृष्ण मुरारी मोघे टिकट की दौड़ में शामिल हैं।
BJP के सामने यहां पर उम्मीदवार घोषित करने को लेकर असमंजस की स्थिति है। इधर कांग्रेस से अरुण यादव को टिकट मिलने की उम्मीद है, लेकिन बुरहानपुर से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा अपनी पत्नी को उम्मीदवार बनाने के लिए ताकत लगा रहे हैं। ऐसे में भितरघात का डर भी कांग्रेस को सता रहा है।
इस वजह से भाजपा को हो सकता है नुक्सान
पार्टी सूत्रों के मुताबिक चार सीटों पर होने वाले उपचुनाव में पार्टी को जिन वजहों से नुकसान हो सकता है। वे महंगाई, कोरोना काल के चलते रोजगार का खत्म होना, हालात संभालने में सरकार की नाकामी और बेरोजगारी ये मुद्दे BJP पर भारी पड़ने वाले हैं।