movie review/ कश्मीरी पंडितों के दर्द की दास्ताँ शिकारा

कलाकार :  आदिल खान, सादिया, प्रियांशु चैटर्जी
निर्देशक : विधु विनोद चोपड़ा
 
नई दिल्ली, छवि लोचव: कश्मीर, यह शब्द सुनते ही हम सबके दिमाग में वहां के  हालात की एक छवि उभर आती है। वहां के लोग आये दिन आतंकी हमले, कर्फ्यू, अत्याचार , सुविधाओं का अभाव, नेटवर्क सेवा का बंद होना और न जाने कितनी ही परेशानियों का सामना करते आ रहे हैं।  उसी शहर के तमाम लोगों में आते है कश्मीरी पंडित, जिन्हे अपने घरों को छोड़कर भागना पड़ा था और अपने ही देश में रिफ्यूजी की तरह छिपकर रहना पड़ा था

उसी दर्द तथा प्रताड़ना को डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म 'शिकारा' में एक प्रेम कहानी के माध्यम से दर्शाया गया है। ये कहानी है 80 के दसक के अंत की, जहां शिव कुमार धर और उसकी विनम्र पत्नी शांति धर, जोकि पंडित हैं और कश्मीर में अपनी खुशहाल जिंदगी जी रहे होते हैं अचानक 19 जनवरी 1990 को हमला होता है, शिव तथा शांति को मेहनत से बनाया घर और सुख छोड़ कर अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ता है  एक ऐसी जगह जो उनकी नहीं है।

स्क्रीन परफॉरमेंस:-
फिल्म शिकारा में एक्टर 'आदिल खान' ने शिव कुमार धर का किरदार निभाया है वहीं दूसरी ओर सादिया ने शिव कुमार की पत्नी शांति का रोल किया है इन दोनों ने इस फिल्म से बॉलीवुड में डेब्यू किया है और दोनों का ही काम सराहनीय है। शिव कुमार मूवी में एक शिक्षक का किरदार निभाते नज़र आ रहें हैं जो वहां की स्थिति को देखकर कभी सहमे हुए तो कभी अपनी पत्नी के प्यार को देखकर ख़ुशी से भर उठना ये सब इस फिल्म के माध्यम से आपके दिल तक पहुंचाते हैं

दूसरी तरफ 'सादिया' ने शांति के किरदार में जान डाली है। उनका हंस कर अपना दर्द छिपा लेना, शिवा को हरदम संभालना अपने अरमानों का घर छोड़ कर कैंप में रहना पर कभी ना हार मानना।  सादिया का भोलापन, आंसू, दर्द और ख़ुशी आपको अंदर तक झकजोर देते हैं।
सादिया और आदिल की ऑन स्क्रीन रोमांस तथा केमिस्ट्री दर्शकों को भरपूर मजा देगी।
प्रियांशु चटर्जी ने सपोर्टिंग एक्टर के तौर पर अपना किरदार अच्छे से निभाया है।

डायरेक्टर :-
इस फिल्म को डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा, अभिजात जोशी और राहुल पंडिता ने प्यार की कलम से लिखा है। एक ऐसी प्रेम कहानी जो हर मुश्किल, डर ,अत्याचार के सामने भी हार नहीं मानी। 'शिकारा' शिव और शांति के प्यार क साथ-साथ एक ऐसी दास्ताँ का चित्रण करती है जो सिर्फ हमने न्यूज़ में सुनी तथा देखी थी         
कश्मीर में रातों-रात पंडितों के घरों को जलाना , गोलियों की बरसात करना तथा उन्हें अपने ही घर से डर की वजह से भाग कर जाना।  उस भयानक द्रश्य  को डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा ने बड़े ही सलीके से स्क्रीन पर उकेरा है , ये फिल्म आपको दिखती है की दिन बदलते है साल बदलती हैं पर यादें वही रहती है जो की हमें हमेशा याद रहती हैं।
इस फिल्म के जरिये विधु विनोद चोपड़ा उन 4 लाख कश्मीरी पंडितो की कहानी बताए हैं जिन्हे रातों -रात अपने सपनों के घर को छोड़ कर भागना पड़ा था तथा अपने ही मुल्क में गैरों की तरह रहना पड़ा था।

फिल्म के गानों को इरशाद क़ामिल ने लिखा है और सिंगर पापोन की आवाज़ में गाया हुआ गाना 'ऐ वादी शहज़ादी' लोगों के दिल को छू जाता है।  इसका  म्यूजिक ए आर रेहमान तथा क़ुतुब -ऐ -कृपा ने कम्पोज किया है         

 

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