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Mission 2023 : आदिवासी वोट बैंक को साधने में जुटीं BJP-Congress, क्या बदलेगा समीकरण??

  • कमलनाथ आज बड़वानी में निकालेंगे जनअधिकार यात्रा
  • केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 18 सितंबर को पहुंचेंगे जबलपुर 
  • दोनों दलों का फोकस एक बार फिर आदिवासी वोट बैंक पर 

भोपाल : मध्यप्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस अभी से मैदान में उतर गई है। जहां एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ आज बड़वानी में आदिवासी अधिकार यात्रा का आगाज करेंगे, तो वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जबलपुर में 18 सितंबर को कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। 

दरअसल, अब दोनों दलों का फोकस एक बार फिर आदिवासी वोट बैंक साधने पर है। यही वजह है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण की सीमा बढ़ाने के मामले में श्रेय लेने के लिए दोनों दल एक-दूसरे पर हमलावर रहे। 

बता दे कि बड़वानी, धार, आलीराजपुर (मालवा-निमाड़ क्षेत्र) को जयस (जय युवा आदिवासी संगठन) का गढ़ माना जाता है। बीते कुछ वक्त से कांग्रेस, आदिवासियों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है। अगस्त में डेढ़ दिन चले विधानसभा सत्र के दौरान भी देखा गया कि विश्व आदिवासी दिवस के मुद्दे को कांग्रेस ने जमकर उठाया।

अब कांग्रेस 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। कांग्रेस 6 सितंबर को बड़वानी में आदिवासी अधिकार यात्रा निकालने जा रही है। आयोजन के बहाने कांग्रेस बड़वानी और उससे लगे आधा दर्जन जिलों को कवर करने की कोशिश में है। बड़वानी के साथ धार, खरगोन, मंदसौर और नीमच जिलों के आदिवासियों को लेकर कांग्रेस बड़ा आयोजन करेगी।

इधर, BJP ने अमित शाह के कार्यक्रम के लिए 18 सितंबर का दिन इसलिए चुना है, क्योंकि इसी दिन वर्ष 1858 को अंग्रेजों ने गोंड राजा रघुनाथ शाह और शंकर शाह को तोप के मुंह से बांधकर उड़ा दिया था। अमित शाह इसी दौरान आजादी-75 और आधुनिक भारत कार्यक्रमों का शुभारंभ करेंगे। इस कार्यक्रम के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। दोनों बलिदानियों का आदिवासी समुदाय में काफी प्रभाव है। इनके सम्मान से आदिवासियों के बीच भाजपा की पैठ बढ़ाने की रणनीति भी इसे माना जा रहा है।

मालूम हो कि मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें अनुसूचित जनजाति यानी आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। सामान्य वर्ग की 31 सीटों पर भी आदिवासी समुदाय निर्णायक भूमिका में हैं। 2003 के पहले आदिवासी वोट बैंक परंपरागत रूप से कांग्रेस का माना जाता था। BJP ने इसमें सेंध लगा दी। आदिवासी कांग्रेस से छिटक गए। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 47 आदिवासी सीटों में से 30 सीटें मिली थीं, BJP को 16 सीटों से संतोष करना पड़ा।

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