- नियमो में किये गए बड़े बदलाव
- अहम सदस्यों को नॉमिनेट करने का अधिकार अब सिर्फ राज्य सरकार के पास
Bhopal Desk,Gautam :- राज्य सरकार ने माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय की महापरिषद में लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति द्वारा सांसदों को नॉमिनेटेड करने के अधिकार को पूर्णतः समाप्त कर दिया है। इसके साथ ही पब्लिक रिलेशन सोसाइटी ऑफ़ इंडिया (PRSI) और इंडियन न्यूज़ पेपर सोसाइटी (IANS) द्वारा एक-एक सदस्य नॉमिनेटेड करने का अधिकार भी ख़त्म कर दिया है। अब इन क्षेत्रों से सदस्यों को नॉमिनेट करने का अधिकार भी ख़त्म कर दिया। अब इन क्षेत्रों में नॉमिनेट करने का अधिकार राज्य सरकार के पास होंगे।
महापरिषद में हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के सम्पादकों को रखे जाने की अनिवार्यता को भी ख़त्म करते हुए इसके स्थान पर किसी भी वरिष्ठ पत्रकार को सदस्य बनाने का प्रावधान किया है। राज्य सरकार ने माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय अधिनियम 1990 की धारा 15 में संशोधन का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इस धरा में आठ उपधाराओं में संशोधन कर महापरिषद में सदस्य नामित करने वाले राष्ट्रीय स्तर के अलग-अलग संस्थानों के अधिकारों को ख़त्म कर वे अधिकार राज्य सरकार, मुख्यमंत्री को दे दिए गए हैं। इसके अलावा किसी एक विधायक को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा नियुक्त करने का नया नियम जोड़ा गया है।
गौरतलब है कि पत्रकारिता विश्वविद्यालय पिछले एक साल से विचारधारा की लड़ाई का अखाड़ा बना हुआ है। कुलपति के बदले जाने से लेकर नए गेस्ट फैकल्टीज तक बार-बार विवादों की स्थिति पैदा होती रही है।
विश्वविद्यालय की महापरिषद में पहले IIMC दिल्ली का नॉमिनी होता था, इसके स्थान पर IIMC महानिदेशक को ही सदस्य बना दिया गया है। पहले भारतीय भाषाओं के अखबारों के पांच ख्यातिप्राप्त सम्पादक सदस्य होते थे, इसके स्थान पर राज्य सरकार द्वारा मनोनीत एक टीवी चैनल का पत्रकार, एक आईटी विशेषज्ञ, एक सोशल मिडिया एक्सपर्ट और एक विकास संचार विशेषज्ञ सदस्य होंगे। मध्यप्रदेश के अलावा 5 राज्यों के प्रमुख हिंदी अखबार के सम्पादकों की संख्या में कटौती कर 2 स्थान कर दिए गए हैं, जिन्हे भी मुख्यमंत्री नियुक्त करेंगे।