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Gaon Dastak के संपादक Mahendra Kudiya ने उठाया कालबेलिया लोक कलाकारों के तंगी का मामला

Gaon Dastak के संपादक Mahendra Kudiya ने उठाया कालबेलिया लोक कलाकारों के तंगी का मामला

 

ग्रामीण भारत के मुद्दों पर जनहित कि आवाज उठाने वाले समाचार संगठन, गांव दस्तक (Gaon Dastak) के संपादक महेन्द्र कुड़िया (Mahendra Kudiya) ने कोरोना महामारी का आर्थिक मार झेल रहे कालबेलिया समाज के लोक कलाकारों का मामला उठाया है।

 

 

कालबेलिया लोक कलाकार: एक परिचय

 

कालबेलिया राजस्थान सहित देश का एक घूमक्कड़ समुदाय है जो जिनकी अधिकांश आबादी राजस्थान के बाड़मेर और जैसलमेर जिलों में रहते हैं।

 

कालबेलिया राजस्थान की कला और संस्कृति के प्रतीक रहे हैं। देश और विदेशो में राजस्थानी लोक संगीत व कालबेलिया लोक नृत्य का परचम लहराने वाले लोगों का समाज आज कोरोना जैसी महामारी की वजह से तंगी का शिकार है।

 

सरकारी और निजी संस्थाओं को करना चाहिए सहयोग

 

गांव दस्तक (Gaon Dastak) के संपादक महेन्द्र कुड़िया (Mahendra Kudiya) ने इस मामले को उठाते हुए कहा 'वंशानुगत पेशेवर संगीतकारों के इस समूह के संगीत को पीढ़ियों से धनी जमींदारों और अभिजात वर्ग द्वारा समर्थित किया गया है। लेकिन हलिया दिनों में इनकी आर्थिक हालत कमजोर होती गई।'

 

उन्होंने कहा, 'अपने जीवन यापन के लिए कालबेलिया लोक कलाकार गायन व नृत्य पर ही निर्भर करते हैं।कोरोना महामारी ने इनकी कमर ही तोड़ दी है। यह समाज राजस्थान सहित देश के गौरवपूर्ण विरासत का हिस्सा है। सरकारी और निजी संस्थाओं को हर तरीक़े से घर बैठने को मजबूर इन कलाकारों का सहयोग करना चाहिए।'

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