महेन्द्र सिंघ नायक/सिवनी.जनपद पंचायत घंसौर की ग्राम पंचायत दिवारी में वर्ष 2017 में मनरेगा अन्तर्गत सुदूर सम्पर्क सड़क का निर्माण शुरू हुआ था. उसी समय लगभग पूर्ण हो चुकी इस रोड़ में गुणवत्ता की घोर उपेक्षा की गई है. निर्माण एजेंसी रही ग्राम पंचायत दिवारी ने मशीनों के माध्यम से मिट्टी-मुरुम की गुणवत्ताविहीन सड़क बनाकर रख दी है.
निचले क्षेत्रों में पानी भराव की जगहों पर पुलिया नहीं बनाईं गई. केवल मिट्टी-मुरूम डालकर सड़क निर्माण की औपचारिकता ही निभाई गई है. दूसरी ओर मनरेगा की इस योजना में ग्रामीणों को रोजगार न देकर मशीनों द्वारा सड़क बनाई गई है. केवल दो दिन काम किये मजदूर ढाई साल से आज तक मजदूरी को तरस रहे हैं. वहीं सामग्री परिवहन में लगे वाहन मालिक भी लगातार भुगतान की मांग कर रहे हैं.
ढाई साल बीतने के बाद भी ग्राम पंचायत के सरपंच, सचिव तथा रोजगार सहायक की उदासीनता से न सड़क पूर्ण हुई है, न ही सम्बन्धितों को भुगतान मिला है. इसी के साथ अपात्रों व अक्षम लोगों के नाम पर मजदूर की उपस्थिति दर्शाकर शासकीय राशि आहरित करने की बात भी सामने आ रही है. सड़क के लिये 15 पुलिया खरीदी के भुगतान हो चुकने के बाद मात्र 1 पुलिया को भी ग्रामीणों द्वारा आपसी श्रमदान से लगाया गया है.
सरपंच के द्वारा उक्त कार्य में फर्जी मजदूरों के नाम पर मशीनों के भुगतान की बात स्वीकारी जा रही है. सरपंच की मानें तो पूरी पंचायत ही इस गड़बड़ी की जिम्मेदार है. पंचायत के सचिव, रोजगार सहायक व पंचों द्वारा कथित प्रस्ताव पारित करके काल्पनिक मजदूरों के नाम पर राशि आहरित करने की बात भी सरपंच मनोज उइके द्वारा स्वीकार की गई है. वहीं बहुत जल्द शेष भुगतान करने की बात कही जाती है; तो सचिव शंकर यादव व मनरेगा की मुख्य कड़ी रोजगार सहायक भारती डेहरिया को कैमरे के सामने आने से परहेज है.
इस विषय को “द लोकनीति” द्वारा उठाने पर जनपद पंचायत के मुख्यकार्यपालन अधिकारी द्वारा टेक्निकल जाँच कराने व जल्द ही मजदूरों को भुगतान कराने की बात कही जा रही है.