अतिथि विद्वान मंत्री जी से आस लगाए धरने पर बैठे है और मंत्री जी पिच पर बल्ला घुमा रहे हैं!

भोपाल। देश और प्रदेश की राजनीति की जब भी हम बात करते हैं तो उसमें नेता अपनी तरफ से देवता ही नजर आते हैं. जनता भी उनको देवता मानकर धीरे-धीरे सोचना शुरु कर देती है कि नेता हमारे अच्छे दिन जल्द से जल्द लाएँगे.

नेताओं को भी इस बात का आभास रहता है कि जनता उन्हें धीरे-धीरे बहुत ज्यादा सीरियसली लेने लगी है. जनता को ये लगने लगता है कि नेता ही हमारे अच्छे दिन लाएँगे. चलिए ज्यादा कलेवर में ना बाँधते हुए आपको उद्देश्य से रू-ब-रू कराते हैं.

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बीते 53 दिनों से लगातार यादगारे शाहजहानी पार्क में प्रदेश के अतिथि विद्वानों का धरना प्रदर्शन चल रहा है. वे नियमितीकरण के लिए अपनी मांगे मनवाने के लिए, अपने अधिकार को सरकार से पूरा कराना चाहते है.

इस बारे में जब उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी जी से पूछा जाता है तो वह कह देते हैं होगा.. होगा.. होगा.. और कब होगा यह बात उन्हें भी नहीं पता. आपको भी लगता होगा कि सरकार से पूछे जाने वाले सवालों का जवाब वह जिस तरह से देते हैं तो उसमें उनकी साफगोई और वाक्चातुर्य के नजारे हमें रोज देखने को मिलते हैं.

यह तो जनता है साहब बोलने से कुछ नहीं होता है. करने से ही होता है. सदन में जीतू पटवारी जी ने बोला था कि हम 25 से 30 तारीख के बीच में अतिथि विद्वानों के नियमितीकरण के मामले में कुछ और बुनियादी व्यवस्था कर लेंगे एवं इनकी वर्तमान नियमितीकरण की प्रक्रिया को लेकर जल्द से जल्द कुछ उचित समाधान करेंगे.

आज तारीख है 31 जनवरी और समस्या जस की तस. इन दिनों में अतिथि विद्वानों ने न जाने क्या-क्या झेला है लेकिन यह सरकार है जो इन्हें भाषणों के माध्यम से ही पाटने में लगी हुई है.

आज भोपाल की IES University के 25th Inter Press Cricket Tournament में सम्मिलित होकर क्रिकेट का आनंद लिया..। pic.twitter.com/8ZfKexO7o7

— Jitu Patwari (@jitupatwari) January 31, 2020

आज एक ऐसा ही मौका था जब बेहद ही गठीले और स्मार्ट नजर आने वाले हमारे उच्च शिक्षा मंत्री और साथ-ही-साथ खेल मंत्री जीतू पटवारी जी एक कॉलेज गए थे और वहां आयोजित हो रही क्रिकेट प्रतियोगिता में क्रिकेट का आनंद ले रहे थे. हम आपको यह खबर इसलिए बता रहे हैं ताकि आपको पता चल सके कि जो हमारे खेल मंत्री साहब हैं और वही हमारे उच्च शिक्षा मंत्री साहब है और अतिथि विद्वानों पर चुप्पी साधे हैं.

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