मध्य प्रदेश के बागेश्वर धाम सरकार अपने दिव्य दरबार के कारण हमेशा चर्चा में बने रहते हैं। लेकिन इन दिनों उनकी चर्चा का कारण कुछ और ही है। धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर नागपुर में कथा बीच मे छोड़कर भागने का आरोप लग रहा है। वहीं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भी ताल ठोंकर विरोधियों को जवाब दे रहे हैं।
अक्सर सोशल मीडिया पर बागेश्वर धाम सरकार के वीडियो खूब वायरल होते हैं। और नेताओं में भी बागेश्वर धाम सरकार के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा कराने के लिए होड़ मची हुई है। लोगों का दावा है कि बागेश्वर धाम में आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं बागेश्वर धाम सरकार पूरी कर देते हैं।
ये है ताजा विवाद
नागपुर की अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति ने आरोप लगाया था कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने चमत्कार का दावा करके कानून का उल्लंघन किया है। खबरों में कहा जा रहा है कि 11 जनवरी को यह कथा संपन्न हो गई, जबकि इसकी अंतिम तारीख 13 जनवरी थी। इसकी वजह नागपुर की अंध श्रद्धा उन्मूलन समित का चैलेंज बताया जा रहा है।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने किया पलटवार
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के बागेश्वरधाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर नागपुर से कथा छोड़कर भागने का आरोप लगा। इसके बाद धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने चमत्कार को चुनौती देने वालों को जवाब देते हुए कहा कि हाथी चले बाजार, कुत्ते भोंके हजार। उन्होंने ये बात नागपुर से लौटने के बाद पलटवार करते हुए कहा था कि हम सालों से बोल रहे हैं कि न हम कोई चमत्कारी हैं, न हम कोई गुरू हैं. हम बगेश्वरधाम सरकार बालाजी के सेवक हैं।
पहले भी सुर्खियों में रहे हैं धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री
वैसे इसके पहले भी वो अपने बयानों के लेकर चर्चा में रहे है। सीएम शिवराज सिंह चौहान को बुलडोजर बाबा बताने वाले उनके बयान ने जमकर सुर्खियां बटोरी थी। बता दें कि मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक तीर्थ स्थित है। जिसे बागेश्वर धाम सरकार के नाम से जाना जाता है।
जानिए बागेश्वर धाम का इतिहास
मिली जानकारी के मुताबिक यह मंदिर सालों पुराना है। 1986 में इस मंदिर का रेनोवेशन कराया गया था। इसके बाद 1987 के आसपास वहां पर एक संत का आगमन हुआ, जिन्हे बब्बा जी सेतु लाल जी महाराज और भगवान दास जी महाराज के नाम से भी जाना जाता था। इसके बाद 1989 के समय बाबा ने बागेश्वर धाम में एक विशाल महायज्ञ का आयोजन किया गया। 2012 में बागेश्वर धाम की सिद्ध पीठ पर श्रद्धालुओं की समस्याओं के निवारण के लिए दरबार का शुभारंभ हुआ। और धीरे-धीरे धाम में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगने लगा। बागेश्वर धाम के संत लोगों की समस्याओं का निराकरण करने लगे।