कटनी  : तहसीलदार ने पटवारी के साथ मिलकर चरनोई की भूमि पर करा दिया कब्जा 

कटनी  : तहसीलदार ने पटवारी के साथ मिलकर चरनोई की भूमि पर करा दिया कब्जा 

द लोकनीति डेस्क कटनी 
कटनी जिले की ढीमरखेड़ा तहसील के अंतर्गत खंदवारा के सारंगपुर और जमुनिया गांव में चरनोई भूमि पर तहसीलदार ने पटवारी के साथ मिलकर कब्जा करा दिया। इतना ही नहीं कब्जा धारियों को नोटिस भी काट दिए। ग्रामीणों का आरोप है कि तहसीलदार हरी सिंह धुर्वे ने तत्कालीन पटवारी सुशील परते के साथ सांठगांठ करते हुए मोटी रकम लेकर 17 लोगों को कब्जा करा दिया। कब्जे को हटाने के लिए जब उन्होंने इसकी शिकायत एसडीएम ढीमरखेड़ा से की तो उनकी शिकायत को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। वही ग्रामीणों पर दबाव बनाने के लिए तहसीलदार ने उनके खिलाफ 107,16 के नोटिस काट दिए।
ये है पूरा मामला … 


कटनी जिले के राजस्व निरीक्षक मंडल उमरिया पान तहसील ढीमरखेड़ा के अंतर्गत ग्राम जमुनिया के पटवारी हल्का नंबर 28 के खसरा नंबर 17 में 45.21 हेक्टेयर भूमि चरनोई में दर्ज है। जिसका उपयोग ग्राम सारंगपुर, जमुनिया, झकाझोर के ग्रामीण सार्वजनिक उपयोग के लिए करते है। मई -जून माह में 17 लोगों ने करीब 150 एकड़ में कब्जा कर उस पर खेती करने लगे।  ऐसे में चरोखर की भूमि समाप्त हो गई और ग्रामीणों को मवेशियों के चारा के लिए परेशानी खड़ी हो गई। ग्रामीणों ने इस भूमि पर हुए अवैध कब्जे को लेकर 16 अक्टूबर 2020 को ढीमरखेड़ा एसडीएम सपना त्रिपाठी को लिखित शिकायत देकर चरोखर भूमि पर हुए अवैध कब्जे को हटाने की मांग की थी। 
मोटी रकम लेकर तहसीलदार और पटवारी ने रचा यह खेल 
स्थानीय ग्रामीण रामभूषण झारिया, जग्गनाथ पटैल, रामभरोसे पटैल ,जगरूप राम लोधी सहित सैकड़ो ग्रामीणों का आरोप है कि तहसीलदार हरी सिंह धुर्वे ने तत्कालीन पटवारी सुशील परते के साथ मिलकर चरनोई भूमि को खुर्द बुर्द करने के लिए पहले तो ज़मीन पर कब्ज़ा कराया फिऱ कब्जेदारों से मोटी रकम लेकर नोटिस काट दिए। यह सब एक साजिश के तहत किया गया षडयंत्र है ताकि गांव की सार्वजनिक उपयोग की जमीन पर खेती बाड़ी शुरू करवाकर पट्टे दे दिए जाए। यहां राजस्व विभाग ने ऐसे लोगो को जमीन पर कब्ज़ा कराया जो स्वयं भूमिस्वामी है। 
तत्कालीन पटवारी को हटाया लेकिन जांच ठंडे बस्ते में …
इस पूरे मामले की शिकायत जब एसडीएम ग्रामीणों ने की तो हल्के के पटवारी को बलि का बकरा बनाकर वहां से हटा दिया गया। लेकिन न तो सम्बंधित जमीन पर हुए कब्जे को जिम्मेदारों ने हटाया और न ही आगे मामले की कोई जांच की गई। मतलब पूरा मामले ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। 
 राजस्व अमला खुद करवा रहा ढीमरखेड़ा क्षेत्र में अवैध कब्जा 
दरअसल ढीमरखेड़ा तहसील में जमकर अवैध कब्ज़ा चल रहा और राजस्व विभाग जो सरकार की तरफ से निगरानी करने बैठा है वह ही खुद ही शासकीय भूमि पर जमकर कब्जे करवा रहा है। इस काम में तहसीलदार और स्थानीय पटवारी मिलकर अवैध कब्जे का सर्टिफिकेट बांट रहे है। बता दे यह आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है जहा जंगल ज्यादा पेड़ -पौधे ज्यादा मात्रा में पाए जाते है। सूत्रों की माने तो जिन लोगों को यहां कब्ज़ा है वे कोई भूमिहीन नहीं है फिऱ भी इन लोगों ने करीब 150 एकड़ में कब्ज़ा कर रखा है। कुल मिलाकर कहे तो जिन भूमिहीनों को भूमि की असल में जरूरत है वे पट्टे के लिए आज भी सिस्टम से लड़ रहे और अपनी झोपड़ पटी में रहने को मजबूर है।

इनका कहना 

मामला सामने आने के बाद जांच की जिम्मेदारी तहसीलदार पूर्वी तिवारी को सौंपी गई थी लेकिन वह मैटरनिटी लीव पर चली गईं। अब तहसीलदार पद का प्रभार हरि सिंह धुर्वे  के पास है और उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है। उनका जवाब आने के बाद क्या कार्रवाई की जाएगी यह तभी तय होगा।
सपना त्रिपाठी ,एसडीएम ढीमरखेड़ा 
ऐसा कोई मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। अगर इस तरह का कोई मामला है तो मैं दिखवाता हूं।
हरि सिंह धुर्वे, तहसीलदार 
वन विभाग को जब यह जानकारी लगी कि सारंगपुर और जमुनिया में लोगों को जमीन पर कब्जे दिए गए हैं तो विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए अपनी टीम रवाना की। मौके पर यह ज्ञात हुआ कि जिस जमीन पर कब्जा दिलाया गया है वह राजस्व की है वन विभाग की नहीं।
रमेशचंद्र विश्वकर्मा, डीएफओ कटनी

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