विभिन्न आरोपों में घिरे ढीमरखेड़ा जनपद सीईओ पाण्डेय पर आखिर शिकायत के बावजूद भी आखिर क्यों नहीं हो रही कार्यवाही ?

क्या है मामला जानने के लिए देखिये संवाददाता राजेन्द्र चौरसिया की विशेष खबर.

 कटनी / ढीमरखेड़ा :- शासन-प्रशासन की विभिन्न योजनाएं जो सीधे-सीधे जनता को लाभ एवं क्षेत्र के प्रकाश के लिए होती हैं। 
लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों एवं कर्मचारियों के चलते ऐसी योजनाएं सिर्फ कागजों में सीमित होते होते भ्रष्टाचार में बदल जाती हैं। 
 ताजा मामला जुड़ा हुआ है कटनी जिले के ढीमरखेड़ा तहसील का, 
जहां पर की 9 पंचायतों द्वारा प्रतिबंधित समय बरसात के समय पर मनरेगा का कार्य फर्जी तरीके से कराया गया था। 
जिसको लेकर जन जागरण मोर्चा के प्रदेश सचिव राजेंद्र खरे द्वारा जनपद से लेकर कमिश्नर एवं भोपाल स्तर तक शिकायत की गई थी। 
जिसकी कमिश्नर के आदेश के बाद जांच हुई, लेकिन जनपद सीईओ केके पांडे द्वारा मामले को रफा-दफा करते हुए 
मामलें में छोटे कर्मचारी को दोषी ठहराते हुए मुख्य जिम्मेदार मामले से दूर कर दिए। 
 राजेंद्र खरे ने बताया कि इस पूरे मामले में मुख्य दोषी एवं जिम्मेदार जनपद सीईओ केके पांडे है, जिनके ऊपर भी कार्यवाही एवं रिकवरी होनी चाहिए। 
यह ऐसे मुख्य कार्यपालन अधिकारी हैं जो भ्रष्टाचार के चलते तीन बार लोकायुक्त में ट्रैप हो चुके हैं उसके बाद भी प्रशासन इन्हें इतने जिम्मेदार पद पर बैठाए हुए हैं जिनकी कार्य प्रणाली आज भी जनपद के विकास से दूर है। 

बहरहाल अब यह देखना दिलचस्प होगा की कटनी का जिला प्रशासन इस पुरे मामलें पर क्या निर्णय भी लेता है या पाण्डेय जी को इसी तरह से संरक्षण मिलता रहेगा। 

Exit mobile version