कर्नाटक / आयुषी जैन – क्या हुआ रामायण याद आ रहा है, नहीं आप उसकी तुलना कलयुग के राजनीतिक महाभारत से नहीं कर सकते, क्योंकि मानवता को तिलांजलि देकर, पाप, झूठ, धोखा और भ्रष्टाचार के जरिए लोकतंत्र का गला घोट कर सत्ता में आना रामायण तो नहीं हो सकता।
लेकिन फिर भी आज जनता तय कर देगी कि उसे ऑपरेशन लोटस के जरिये स्थापित तथा कथित रामराज्य चाहिये या गांधी के द्वारा अर्जित किये गये लोकतंत्र के जरिये खुद का राज्य यानी स्वराज (असल लोकतंत्र) चाहिये। आज कर्नाटक में उपचुनाव है, आम तौर पर हम उपचुनाव पर विशेष ध्यान नहीं देते लेकिन इतिहास गवाह है कि ये उपचुनाव बड़े – बड़ों के घमंड को चूर – चूर कर देते हैं। या इसे रामानन्द सागर के अंदाज में पेश किया जाये तो यह कहना गलत नहीं होगा कि “जब सत्ताधारी दल के पाप का घड़ा भर जाता है तो भगवान् उपचुनाव के रूप में अवतार लेता है” जो प्रथम दृष्टया हल्का – फुल्का लगता है लेकिन बाद में इतिहास बन जाता हैं। इसी फैक्टर को मद्दे नजर रखते हुए मैंने सोचा कि आज के नाटक का प्रीव्यू किया जाये और उसमें श्री उपचुनाव भगवान् के अवतार का जिक्र किया जाये कि वो कितने महत्वपूर्ण हैं। तो चलिए सबसे पहले उपचुनाव भगवान् के अवतार का कारण जानते हैं –
कर्नाटक में आज 15 सीटों पर हो रहे हैं उप चुनाव लेकिन क्यों –
पिछले साल यानी 2018 में कर्नाटक के विधानसभा चुनाव हुए, किसी के पास पूर्ण बहुमत नहीं था, बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन सरकार नहीं बना पाई, कांग्रेस और कुमारा स्वामी की जेडीएस ने मिलकर सरकार बनाई। लेकिन ये बात मोटा भाई यानी बीजेपी को रास नहीं आई। अरे ये तो तकिया – कलाम हो गया। खैर मुद्दे पर वापस आते हैं। जब बात रास नहीं आई तो मोटा भाई यानी बीजेपी ने एक ऑपरेशन चलाया, जिसे बाद में ऑपरेशन लोटस नाम देकर मेन स्ट्रीम मीडिया के बहुतायत समूहों ने ग्लोरीफाई किया, कुछ ने इसी नाम से कृटिसाइज भी किया, लेकिन कारवां लुट चुका था। इस ऑपरेशन में जमकर पैसा फेंक तमाशा देख के फॉर्मूले पर लोकतंत्र की हत्या की गई, जिसे बाद में चाणक्य नीति कहा गया, इसी नीति के जरिये येदयुरप्पा मुख्यमंत्री बन गये, उनके साथ लोकतंत्र के मंदिर यानी संसद में बैठकर पोर्न देखने वाले नेता जी उपमुख्यमंत्री बन गये और कुमारा स्वामी यानी जेडीएस और कांग्रेस की सरकार गिर गई।
इसी ऑपरेशन में 17 विधायकों ने दल – बदल किया था, जिन्हें लोकसभा स्पीकर नें बाद में अयोग्य ठहरा दिया था, यानी उनकी विधायकी रद्द कर दी गई थी। ये सभी विधायक जेडीएस और कांग्रेस के थे। जिन्हें बर्खास्तगी के कारण इस्तीफा देना पड़ा, और इन विधायकों के इस्तीफा देने के कारण कर्नाटक में कुल सीटों की संख्या 224 से घटकर 207 हो गई, जिससे बहुमत का आकड़ा घट कर 104 सीट हो गया, और बीजेपी ने अपने 105 विधायकों के अलावा 1 अन्य के साथ मिलकर अपने नंबर को जादुई आकड़े के पार यानी 106 पर ला खड़ा किया और इस तरह से बीजेपी की सरकार बन गई, मामला वहां पहुंचा जिस इकलौते ने अभी -भी कुम्हलाये लोकतंत्र के शरीर में दिल बन कर धड़कने का जिम्मा लिया हैं।
यानी सुप्रीम कोर्ट, एससी ने स्पीकर के निर्णय को सही तो माना लेकिन सभी बर्खास्त विधायकों को चुनाव लड़ने की अनुमती दे दी। अब इन्हीं सीटों में से 15 सीटों में उपचुनाव होने हैं, दो सीटों पर पहले ही इतने भ्रष्टाचार के मामले सामने आये हैं कि उसपे फ़िलहाल चुनाव कराने का रिस्क चुनाव आयोग नहीं लेना चाहता, यानी अब बहुमत का आकड़ा 112 हो जायेगा, यानी बीजेपी को कमसेकम 6 सीटों पर जीत दर्ज करना जरूरी है, अन्यथा सरकार बहुत तेजी से गिर जायेगी। इसीलिये मैंने कहा कि आज ऑपरेशन लोटस के पवित्रता की अग्निपरीक्षा हैं।
कहां – कहां हो रहे हैं उप-चुनाव और कहां नहीं –
आज जिन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं उनमें गोकक, कागवाड, अथानी, येल्लपुरा, हिरेकेरूर, रवबेन्नुर, विजय नगर, चिकबल्लापुरा, केआरपुरा, यशवंतपुरा, महालक्ष्मी लायुत, शिवाजी नगर, होसकोटे, हंसुर और केआर पेटे विधानसभा सीटें शामिल हैं। दो सीटों मस्की और राजराजेश्वरी का मामला कोर्ट में होने के कारण फिलहाल वहां उपचुनाव नहीं हो रहे हैं।