भोपाल से खाईद जौहर की रिपोर्ट – मध्यप्रदेश में एक लंबे घमासान के बाद सत्ता परिवर्तन हो गया हैं। कमलनाथ सरकार गिर गई। प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के तौर पर चौथी बार शिवराज सिंह ने सीएम पद की शपथ ली। मुख्यमंत्री पद संभालते ही शिवराज एक्शन में आ गए हैं। हालांकि इस समय सीएम शिवराज पूरी तरह से कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए समर्पित हैं। लेकिन इसी बीच उनके सामने अनेकों चुनौतिय खड़ी हैं।
बता दे कि कोरोना महामारी के बीच मंत्रिमंडल के विस्तार की भी सुगबुगाहट तेज हो गई हैं, लेकिन जिस तरह से बातें सामने आ रही है, उससे लगता नहीं कि मंत्रिमंडल का गठन करना शिवराज के लिए बहुत आसान काम होगा।
दरअसल, मंत्रिमंडल में सिंधिया समर्थकों के नाम सामने आगे हैं। जिनमें इमरती देवी सुमन प्रद्युम्न सिंह तोमर महेंद्र सिसोदिया गोविंद सिंह राजपूत तुलसीराम सिलावट और प्रभु राम चौधरी शामिल हैं। मालूम हो कि ये सब कमलनाथ सरकार में मंत्री रह चुके हैं।चुकी सिंधिया समर्थक विधायकों ने बीजेपी का साथ दिया, ऐसे में इनका मंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा हैं। इसके अलावा बिसाहू लाल सिंह, इंदल सिंह कंसाना, हरदीप सिंह डंग और राजवर्धन सिंह दत्तीगांव भी मंत्री बनने की शर्त पर ही भाजपा में शामिल हुए हैं यानी मंत्रिमंडल के संभावित 28 मंत्रियों में से पहले 10 स्थान तो सिंधिया समर्थकों के लिए रिजर्व हो गए।
जबकि चार निर्दलीय भी बीजेपी को इसलिए समर्थन दे रहे हैं कि वह उन्हें मंत्री बना दे।
इधर, खुद बीजेपी में कई दिग्गज नेता है जो मंत्री बनने की लाइन में लगे हुए हैं। बीजेपी की बात करे तो इसमें डॉ नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, यशोधरा राजे सिंधिया, संजय पाठक, अरविंद भदोरिया के अलावा कई दिग्गजों के नाम शामिल हैं।
ऐसे में शिवराज सिंह चौहान को मंत्रिमंडल के विस्तार में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता हैं। शिवराज मंत्रिमंडल में किसे रखेंगे और किसे छोड़ेंगे ये तो समय ही तय करेगा। लेकिन अब ये देखना बेहद दिलचस्प हो गया हैं।