JNU हिंसा / विदेशी छात्रों के परिजन परेशान, बच्चों को बुला रहे हैं घर

नई दिल्ली /गरिमा श्रीवास्तव :- JNU हिंसा ने इतना भयावह हिंसक रूप धारण कर लिया है कि सिर्फ भारत के ही नहीं विदेश से आकर JNU में पढ़ने वाले छात्रों  के परिजनों के ज़हन में दहशत पैदा हो गई है

अपने भविष्य को बनाने के लिए भारत पढ़ने आए विदेशी छात्र इस भयानक हमले से डरे सहमे से हैं। उनके परिजन भी उनकी सुरक्षा को लेकर बेहद परेशान हैं।

विदेशी छात्रों ने बताया कि इस घटना से हम बहुत डरे हुए हैं ,घर के लोग फ़ोन पर बात करने के दौरान वापस बुला रहे हैं। हमारा भविष्य खतरे में है। जो बच्चे पाठ्यक्रम के दूसरे एवं तीसरे वर्ष के छात्र हैं उनका कहना है कि अगर हम वापस अपने देश लौट जाएंगे तो हमारा समय बर्बाद हो जाएगा और इस भयावह हिंसा के बाद इस देश में रहना भी उन्हें मुश्किल लग रहा है।
हांलाकि विदेश मंत्री ने उन्हें ढांढस बंधाया और कहा कि उनकी सुरक्षा- संरक्षा का हम पूरा ख्याल रखेंगे।

बांग्लादेश की फाहमी ने कहा कि हमने कभी सोचा भी नहीं था कि यहां ऐसा होगा।  हम जेएनयू में इसीलिए पढ़ना चाहते थे क्योंकि जेएनयू पूरे विश्व का मशहूर शिक्षण संस्थान है ,लेकिन अब मैं नहीं चाहती कि दूसरे सेमेस्टर में यहाँ अपनी पढ़ाई जारी रखूं।  

 

 

 फ़ाहमी के पिता ने उन्हें फ़ोन कर वापिस आने को कहा।
फ़ाहमी की एक वरिष्ठ साथी ने हिंसा का ज़िम्मेदार वाइस चांसलर को ठहराया ,उन्होंने कहा कि इतना सब कुछ होने के बाद कुलपति को इस्तीफा दे देना चाहिए.' वो कहती हैं कि पिछले 5 साल से यहां रह रही हूं और यहां के प्रशासन द्वारा मुझे खूब प्रताड़ित किया गया है।

इनके अलावा भी अलग अलग देश के छात्र छात्राओं ने अपने दुःख जताए हैं।

 

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