बुलडोजर अभियान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जमीयत उलेमा-ए-हिंद, कहा मुसलमानों को बनाया जा रहा है निशाना 

खरगोन :  मध्यप्रदेश के खरगोन में 10 अप्रैल को रामनवमी पर हुई हिंसा के बाद जिला प्रशासन ने अवैध संपत्तियों के खिलाफ अभियान चलाया था। जिसके तहत शहर के चार स्थानों पर बुलडोजर चलाकर कुल 16 घर और 29 दुकानें ध्वस्त की गईं। इसमें से 12 घर खसखासवाड़ी इलाके में थे। 

वहीं, संपत्तियों पर बुलडोजर चलाए जाने के खिलाफ जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने इसे मुस्लिम वर्ग को निशाना बनाने की साजिश बताया है।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने से पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने गृह मंत्री अमित शाह को भी पत्र लिखा था। इसमें कहा था कि खरगोन में अब मुस्लिमों के घरों और बाकी सम्पत्तियों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है जो एक चिंता का विषय है। पत्र में कहा गया कि मुसलमानों की संपत्तियों को टारगेट किया जा रहा है।

जमीयत उलमा-ए-हिंद के चीफ अरशद मदनी ने कहा कि मध्यप्रदेश के खरगोन शहर में रामनवमी के अवसर पर एक जुलूस के दौरान अत्यधिक भड़काऊ नारे लगाकर हिंसा शुरू की गई। इसके बाद राज्य सरकार के आदेश पर मुसलमानों के घरों और दुकानों पर बुलडोजर चलाया गया। उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश में बुलडोजर की राजनीति पहले से ही चल रही है, लेकिन अब यह नापाक हरकत गुजरात और मध्यप्रदेश में भी शुरू हो गई है।

अरशद मदनी ने कहा कि मुस्लिम मोहल्लों में मस्जिदों के बिल्कुल सामने आकर उकसाया जा रहा है। पुलिस की मौजूदगी में लाठी-डंडे लहराकर नारे लगाए जा रहे हैं और सब मूकदर्शक बने हुए हैं। अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों को डराने-धमकाने की साजिशें रची जा रही हैं। मदनी के मुताबिक याचिका में अदालत से राज्यों को आदेश देने के लिए कहा गया है कि कोर्ट की अनुमति के बिना किसी के घर या दुकान को ध्वस्त ना करें। 
 

Exit mobile version