जबलपुर : amazon में फंसे 1900 रूपये पाने के चक्कर में युवक ने गवाएं 3 लाख़ 50 हजार ,हुआ ठगी का शिकार
- ऑनलाइन शॉपिंग यदि आप कर रहे है तो सावधानी बरतें
- दिवाली आनी है तो ताबड़तोड़ शॉपिंग होगी लेकिन ऑनलाइन में ठगी का ख़तरा
- अब समय है हमारे लोकल मार्केट को बढ़ावा देने का और ठगी से बचने का
- मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले में युवक हुआ ऑनलाइन ठगी का शिकार
द लोकनीति डेस्क जबलपुर
ऑनलाइन शॉपिंग का क्रेज जितना बढ़ रहा है उतना ख़तरनाक भी है। आये दिन लोग बड़ी ऑनलाइन कंपनी से ठगी का शिकार हो रहे है। ख़ैर आपको भी सावधानी बरतनी चाहिए जिससे आप इन घटनाओ से बच सकें। और अपना OTP पासवर्ड कभी भी किसी को मत बताये। हम भारतीय है हमारी अर्थव्यवस्था वैसे भी बुरी तरह चरमराई हुयी है। कोरोना काल के बाद न मार्केट में पैसा है और न ही रोजगार। तो अब हमारी और आपकी जिम्मेदारी बनती है कि लोकल वोकल करें और हमारे बाजारों फ़िर इस दिवाली रौनक दे। न बड़ी MNC विदेशी कंपनियों को अपने करोड़ो खरबो रूपये ठगने और मुनाफ़े कमाने मौका अब न दें।
प्लास्टिक बॉक्स का ऑर्डर निरस्त होने के बाद जमा किए 19 सौ रुपए पाने के चक्कर में एक युवक 348000 रुपए से हाथ धो बैठा। युवक ने इसकी शिकायत राज्य साइबर सेल से की, जिसके बाद पुलिस टीम साइबर ठग की तलाश में जुट गई है। मामला मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले का है।
राज्य साइबर सेल की निरीक्षक हरिओम दिक्षित ने बताया कि जबलपुर निवासी एक युवक ने ऑनलाइन शॉपिंग की सुविधा देने वाली ई-कॉमर्स कंपनी अमेजॉन शिव प्लास्टिक बॉक्स की बुकिंग कराई थी। जिसके बाद उसने 1900 का ऑनलाइन भुगतान कंपनी को कर दिया कुछ दिन बाद उसे पता चला कि स्टाफ की कमी के कारण उसका आर्डर कंपनी ने निरस्त कर दिया है। युवक ने पहले से जमा 1900 पाने के लिए अमेजॉन कंपनी के अधिकारियों से संपर्क का प्रयास किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जिसके बाद उसने गूगल से अमेजॉन कंपनी के हेल्पलाइन नंबर का पता लगाया। पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह जानकारी सामने आई है कि साइबर ठग मुंबई और कोलकाता से ठगी का नेटवर्क चला रहे हैं। गूगल से प्राप्त हेल्पलाइन नंबर पर युवक ने संपर्क किया तो वह नंबर कंपनी का नहीं बल्कि साइबर ठग का था। युवक ने कंपनी का अधिकारी समझकर ठग से बात की और 19 सो रुपए लौटाने को कहा। जिसके बाद उसने युवक से मोबाइल पर एनीडेस्क एप डाउनलोड कराया। कुछ ही देर बाद युवक के बैंक खातों में जमा लाखों रुपए निकाल लिए गए। ऐप डाउनलोड कर आने के बाद जालसाज ने पीड़ित को झांसे में लिया और उसने युवक से कहा कि रकम वापस पाने के लिए मोबाइल पर आने वाली ओटीपी नंबर बताना पड़ेगा युवक ने प्रक्रिया के दौरान मिले सभी ओटीपी नंबर ठग को बता दी। ओटीपी नंबर बताने की कुछ देर बाद ही उसके बैंक खाते खाली हो गए निरीक्षक दीक्षित ने कहा कि अधिकृत वेबसाइट से किसी पोटलिया कंपनी का नंबर ना लेने पर साइबर ठगी का अंदेशा बना रहता है।