मध्यप्रदेश /जबलपुर(Jabalpur) – : भारतीय सीमा पर चीन के खिलाफ अब व्यापारियों के साथ-साथ उपभोक्ताओं में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग की मुहिम जबलपुर में भी तेज हो गई है।लोगो में अब चीन से आने वाली वस्तुओं का पूरी तरह बहिष्कार करने का मन बना रहे हैं। अभी बाजार में चीनी वस्तुए कम जरूर हुई हैं, लेकिन खत्म नहीं हुई हैं। अभी अलग-अलग प्रकार की वस्तुएं चीन से यहां आ रही हैं। 35 से 40% चीजों में चीनी कंपनियों का दखल है।एक जानकारी के अनुसार रोजाना शहर में 10 से 15 करोड़ रुपए का व्यापार होता है।अब कहा जा रहा है त्यौहारों पर बिकने वाली वस्तुओं में चीनी माल ज्यादा होता है परन्तु सामान्य बाजार में भी ऐसी कई चीजें हैं जिनमें कही न कहीं चीन का ठप्पा लगा होता है। चमक-दमक के लिए वहां की चीजें पहचानी जाती हैं। कीमत भी कम होने के कारण लोग इन्हें खरीदते हैं। पतंतु गुणवत्ता पर हमेशा ही सवाल खड़ा रहता है। मजबूती में कई चीजों में वहां का मार्केट देश की फर्मों के आगे नहीं टिकता है। लेकिन लागत ज्यादा आने के कारण कीमत देशी चीजों की थोड़ी ज्यादा होती है। अब लोग चीन को सबक सिखाने के लिए वहां की वस्तुओं का उपयोग नहीं करने की कसम खा रहे हैं।
अभी इन चीजों का इस्तेमाल ज्यादा होता है – :
बच्चो के खिलौने अधिकांश चीन के बने होते हैं। बैटरी से चलने वाले तो लगभग 70% खिलौने वहीं से आते हैं।और शहर के बाजारों में भी यह खिलौने बिकते हैं। भारतीय कंपनियां अभी उतनी मात्रा में इन्हें तैयार नहीं करतीं हैं।
साइकिल में लगे कई पुर्जें चीन से आयात होते हैं। चीनी का माल 70% है। अभी-अभी लोगों के बीच साइक्लिंग का चलन बढ़ा है। ऐसे में इनकी बिक्री भी पहले की तुलना में ज्यादा हो गई है।
सजावट की चीजें व रंग-बिरंगी लाइट में स्वदेशी करण पहले की तुलना में बढ़ा है परन्तु चीन का दखल खत्म नहीं हुआ तो एलईडी लाइट, झूमर, वॉल लाइट, लैंप, फ्लॉवर, आर्टिफिशियल पत्तियां जैसी चीजें चीन की बनी होती है।
शहर में कपड़ों के मार्केट में भी चीन की घुसपैठ है। रेडीमेड टी-शर्ट उसका कपड़ा, बच्चों के कपड़े के अलावा अलग-अलग प्रकार की कई जैकेट्स वहां से निर्मित होकर यहां आती है। इनका कारोबार शहर में होता है।
चीन मोबाइल कंपनियां बड़े पैमाने पर यहां पर बिजनेस कर रही हैं। चीन से एक्जीक्यूटिव जबलपुर में पूरे समय मौजूद रहते हैं। अब कहा जा रहा है अधिकांश मोबाइल दुकानों तक उनकी पहुंच है। 40 से 50 % मोबाइल फोन चीनी कंपनियों के ही हैं।
राखी, पिचकारी बाजार में बीते 2-3 सालों में भारतीय पिचकारी, राखी और लाइट की संख्या बढ़ी है। नहीं तो पहले चीनी वस्तुओं से त्यौहार मनाए जाने लगे थे। अभी भी इनका मटैरियल वहां से आता है। उसकी असेम्बलिंग देश में होती है।
महाकौशल चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष रवि गुप्ता(Ravi Gupta) ने बताया कि चीन हमारे स्वाभिमान को ठेस पहुंचा रहा है तो हम उनके उत्पादों का इस्तेमाल क्यों न करें। व्यापारी एवं उद्योगपति इसका समर्थन करता है। देश के ही उद्योग बढ़ेंगे तो हमारे यहां रोजगार की समस्या भी मिटेगी। जबलपुर चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के कार्यकारी अध्यक्ष कमल ग्रोवर(Kamal Grovr) का कहना था कि स्वदेशी चीजों को अपनाया जाना चाहिए। चीनी वस्तुओं के बहिष्कार का हिमायती जताता हूं।अब हमें अपनी इंडस्ट्री को मजबूत करना चाहिए। उन्हें सरकारे खुले मन से सहयोग करे ताकि उनकी स्थापना में अड़चने नहीं आएं। साइकिल विक्रेता मनप्रीत सिंग जग्गी (Manprit singh jaggi)ने कहा कि चीन के माल का बहिष्कार किया जाना चाहिए। पहले हम जरूर चीनी आइटम मंगाते थे लेकिन अब उसे बंद दिया है। जिस देश का माल हमारे यहां बिकता है, वहीं आंख दिखाए तो हम उसका समर्थन क्यों करें।