खंडवा – चिकित्सा जगत की सबसे बड़ी खोज वैक्सीन को मानी जाती है। इससे आज गंभीर औऱ घातक बीमारियों का इलाज संभव हो पाया है। खासतौर पर जन्म के बाद शिशुओं के लिए यह काफ़ी जरूरी हो गया है। इसके लिए केंद्र सरकार ने मिशन इंद्रधनुष प्रारंभ किया है । इंद्रधनुष के सात रंगों को प्रदर्शित करने वाला मिशन इंद्रधनुष का उद्देश्य उन बच्चो का टीकाकरण करना है जिन्हें यह टीके नही लगे है। बच्चों के टीकाकरण के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार काम कर रहा है जिससे बच्चों के भविष्य को सुरक्षित किया जा सके। खंडवा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में हर मंगलवार औऱ शुक्रवार को बच्चो के टीके नियमित रूप से लगाया जा रहा है औऱ प्रत्येक बच्चों पर नज़र रखी जा रही है की कोई बच्चा छुट न पाए । वही खंडवा शहर की आंगनवाड़ियों में भी सप्ताह के चार दिन टीकाकरण किया जा रहा है ।
समय के साथ लगने चाहिए बच्चो को यह टीके:-
– जन्म के तुरंत बाद बच्चे को हेपेटाइटिस- बी व ज़ीरो डोज पोलियो का टीका लग जाना चाहिए।
– बच्चे को एक वर्ष की आयु तक बी.सी.जी. का टीका लगाया जाना चाहिए जो टीबी (क्षय) जैसी घातक बीमारी से बचाता है।
– बच्चा जब 6 सप्ताह का हो जाए तो उसे रोटावायरस ,पेंटावैलेंट , पीसीवी (निमोनिया) का टीका लगाना चाहिए । रोटावायरस दस्त, डायरिया , पेटदर्द जैसी बीमारी को खत्म करने में सहायक है यह टीका आज के समय में वरदान साबित हुआ है वही पेंटावैलेंट काली खांसी , डिप्थीरिया, टेटनस , हेपेटाइटिस जैसी बीमारी से रक्षा करेगा ।
– ढाई माह होने पर पोलियो,रोटावायरस,पेंटावैलेंट की दूसरी खुराक दी जानी चाहिए।
– साढ़े तीन माह पर फिर पोलियो ,रोटावायरस,पेंटावैलेंट की तीसरी व पीसीवी की दूसरी खुराक दी जानी चाहिए।
– 9 माह पर विटामिन ए का टीका दिया जाना चाहिए जिससे बच्चों के शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ती है। इसके साथ ही खसरे का टीका भी लगया जाना चाहिए।
– 16 से 24 माह के बच्चों को विटामिन ए की दूसरी औऱ पोलियो बूस्टर खुराक तथा डीपीटी के टीके से शिशु का तीन तरह के संक्रामक रोग(डिप्थीरिया,पर्टुसिस, टेटनस) से बचाव किया जाता है।
– 5 से 6 वर्ष पर डीपीटी की दूसरी खुराक दी जानी चाहिए।
टीको का रखरखाव होता है बेहद खास:-
टीका बहुत नाजुक जैविक पदार्थ है यह समय के साथ कमजोर होते है अर्थात बीमारी को रोकने की क्षमता कम होती जाती है । इसलिए प्रत्येक टीके को उचित तापमान पर ही रखा जाना चाहिए।
सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर दो अलग अलग तरह के फ्रीज रखे गए है:-
पहला – (आई.एल.आर.)
इस रेफ्रिजरेटर का तापमान +2 डिग्री से 8° सेंटीग्रेड रहता है जिसमे टीकों का भंडारण किया जाता है।
यह इतना सुविधाजनक है की अगर यहां बिजली आपूर्ति ठप भी हो जाए तो 72 घण्टो तक इसे ठंडा रखा जा सकता है। इस रेफ्रिजरेटर का निचला तल सबसे ठन्डा होता है इसलिए टी सिरीज के टीकों को नीचे नही रखना चाहिए अन्यथा जम कर खराब हो जावेगे। इन टीकों को रेफ्रिजरेटर के साथ दी गई टोकरी मे रखना चाहिए।
दूसरा– (डीप फ्रीज़र)
इस रेफ्रिजरेटर का तामपान -25 डिग्री तक होता है इसमे आईस पैक या बर्फ से जमी पतली बोतल को रखा जाता है , इस बोतल का उपयोग टीको को ठंडा रखने के लिए किया जाता है।
टीकों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए वैक्सीन केरियर का इस्तेमाल किया जाता है। इसे बड़ी सावधनी से लेकर जाया जाता है क्योंकि इस वैक्सीन केरियर का तामपान उतना ही रहना चाहिए जितना टीके का उचित तापमान होता है। इसमे 4 आईस पैक डीप फ्रीजर से निकाल कर कंडिशन किया जाता है उसके बाद वैक्सीन कैरियर में रखा जाता है इस वैक्सीन केरियर का तामपान +2 डिग्री से 8 डिग्री तक होता है ओर यह 24 घण्टो तक इसी तापमान में तक रह सकता है। यह मध्यप्रदेश के हर छोटे बड़े परिवार के लिए निःशुल्क होता है।
निजी स्वास्थ्य सुविधा से कही ज़्यादा बेहतर है सरकारी स्वास्थ्य सुविधा:-
यह हम ही नही बल्कि एक पीड़ित मां अस्मा ने खुद बाल स्वास्थ्य अधिकार पर शोध कर रहे शोधार्थी शिखर नेगी से कही। उन्होंने कहा की उनके बच्चें की डिलीवरी एक निजी अस्पताल में हुई थी , जिस दिन बच्चे का जन्म हुआ उस दिन वहां टीका नही लगता है जब मां ने इसका विरोध किया तो निजी अस्पताल ने डॉक्टरों ने कहा आपको जल्दी है तो आप सरकारी अस्पताल चले जाओ ऐसा कोई जरुरी नही की हम ही टीका लगाए। ऐसे में 11 दिन बीत जाने के बाद मां बच्चे को लेडी बटलर हॉस्पिटल लेकर आयी यहां एएनएम अकिला खान ने बच्चें को ज़ीरो डोज पोलियो व बी.सी.जी लगाया है उन्होंने कहा हेपेटाइटिस-बी इसलिए नही लगाया क्योंकि 11 दिन का बच्चा हो गया है।
टीको पर खर्च:-
सरकार बच्चों के टीको पर कोई कमी नही छोड़ना चाहती है । प्रति एक बच्चे पर सरकार करीब 37000 रुपये खर्च कर रही है। वही निजी अस्पताल में यही टीके लगवाने में काफ़ी खर्चा आता है। ऐसे में यह भारत के प्रत्येक छोटे-बड़े परिवार के लिए वरदान है जो सरकार इसे बच्चो के टीकाकरण को निःशुल्क लगवा रही है।
टीकाकरण को लेकर गंभीरता से कार्य किया जा रहा है। 0 से लेकर 15 साल तक आयु वर्ग के बच्चो के लिए टिके उपलब्ध है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों में जागरूकता आई है। जो अविभावक अपने बच्चों को किसी कारणवश आंगनवाड़ी और आशा सेंटर पर नही आ पाते है उनके बच्चों को घर जाकर टिका लगाया जाता है। –
अनिल तंतवार, जिला टीकाकरण अधिकारी, खंडवा