हिंदी दिवस : भारत में एक दिन ऐसा भी आता है जब लोग अपनी मातृभाषा को एक दिवस के रूप में मानते है। प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस रूप में मनाया जाता है। जब भारत में संविधान का गठन किया जा रहा था तक संविधान सभा के प्रतिनिधयों ने 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी। एक तथ्य यह भी है कि 14 सितम्बर 1949 को हिन्दी के पुरोधा व्यौहार राजेन्द्र सिंहा का 50-वां जन्मदिन था।
जब संविधान सभा में राष्ट्रभाषा लेकर हुआ था विवाद
संविधान सभा के गठन के दौरान हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने में जब सभा में प्रस्तुत किया गया तो गैर- हिंदी भाषी लोग इसका विरोध करने लगे थे। राष्ट्रभाषा को लेकर संविधान सभा में बहुत दिनों तक इस पर चर्चा हुई थी। लेकिन इसका समाधान नहीं हो पाया। भारत देश में राष्ट्रभाषा को अभी तक नहीं चुना गया है, जिससे अंतिम निर्णय लिया गया की जब सरकारी कामो व न्यालयों में अंग्रेजी व हिंदी दोनों भाषा का उपयोग कर सकते है। भारत में अपने राज्यों के अनुसार अपने राज्यभाषा बनाए है। भारत के संविधान में अभी भी 22 भाषाओं का स्थान दिया गया।
हिंदी भाषा की प्रमुख्य विशेषताएं
1. हमारे देश की संस्कृति , सम्मान व एकता की पहचान है हिंदी भाषा।
2. अखंड भारत की पहचान है हिंदी भाषा।
3. हिन्द की हिंदी जान , मान , सम्मान है।
हिंदी भाषा को दिवस में मनाने पर आलोचकों की विचार
जिसमे कई हिन्दी लेखकों और हिन्दी भाषा जानने वालों का कहना है कि हिन्दी दिवस केवल सरकारी कार्य की तरह है, जो दिखावे के लिए किया जाता है और हिंदी दिवस पर अंग्रेजी भाषा उपयोग करने पर हिंदी का विकास नहीं मजाक बनाते है। उनका मानना है की एक दिन से कुछ नहीं होता है जब तक परिवार के लोग व सब विद्यालयों में हिंदी भाषा बोलने नहीं मिलेंगे। नया भारत में हर प्रत्येक लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी भाषा में बातचीत को पसंद करते है जिससे जो हिंदी भाषा में बोलते है मजाक व उपेक्षा किया जाता है।