- ग्वालियर के कमला राजा हॉस्पिटल की हालत खस्ता
- बाल एवं शिशु विभाग को हालात सुधारने के निर्देश
ग्वालियर/अंजली कुशवाह: मध्य प्रदेश के मुख्यपीठ जबलपुर हाईकोर्ट ने हेल्थ डिपार्टमेंट को ग्वालियर के कमला राजा हॉस्पिटल की व्यवस्थाओं में सुधार लाने के निर्देश दिए है.बता दें कि कमला राजा हॉस्पिटल में पिछले दिनों दिमागी बुखार और दूसरी बीमारियों से बच्चों की मौत हुई हैं. इसके अलावा हॉस्पिटल के एक बेड पर 2 से 3 बच्चे भर्ती होने के मामले में भी कोर्ट द्वारा यह आदेश दिए गए हैं. हाईकोर्ट ने कहा है कि 5 दिन में जयारोग्य अस्पताल के कमला राजा हॉस्पिटल के बाल एवं शिशु विभाग के हालातों में सुधार लाये और साथ ही बच्चों को अलग-अलग बेड पर ही भर्ती किया जाए. कोर्ट के दिए गए आदेशों के बाद व्यवस्थाओं में क्या सुधार हुए हैं, इसकी एक रिपोर्ट पांच दिन में कोर्ट को पेश करने के सख्त आदेश दिए गए हैं. इस मामले पर अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को की जायेगी.
न्यायालय ने माना गंभीर मुद्दा
मिली जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह आदेश एडवोकेट संगीता पचौरी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. एडवोकेट संगीता पचौरी ने याचिका में कहा है कि इस समय एक ओर जहां कोविड का खतरा अभी टला नहीं है, वहीं बच्चों को वायरल एवं दिमागी बुखार के कारण अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है. एक बिस्तर पर तीन-तीन बच्चों को भर्ती किया जा रहा है. जो कि इन बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ है. बीमारियों की वजह से बच्चों की मौत भी हो रही है. इसे लेकर जिला प्रशासन और अस्पताल प्रबंधन के गंभीर नहीं होने से हालात बिगड़ सकते हैं.
याचिका में कहा गया कि बेंगलुरु में एक ही स्कूल में बड़ी संख्या में बच्चों के पॉजिटिव होने का मामला सामने आने के बाद भी प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है. अस्पतालों में जिस प्रकार के हालात हैं, उससे ग्वालियर में भी बेंगलुरु जैसे ही हालात बन सकते हैं, इसलिए बच्चों की कोविड जांच भी जरूर होना चाहिए. इस याचिका को ग्वालियर पीठ ने सुनवाई के लिए जबलपुर भेज दिया था. अस्पताल के फोटोग्राफ और अन्य रिपोर्ट को देखते हुए न्यायालय ने इसे गंभीर मुद्दा माना है.
क्या था मामला
बता दें कि ग्वालियर के जयारोग्य हॉस्पिटल के कमला राजा हॉस्पिटल के बाल एवं शिशु वार्ड में पिछले सप्ताह तक यह हालात ख़राब थे. यहां 36 बेड पर 80 से 85 बच्चों को भर्ती किया गया था. एक ही बेड पर तीन-तीन बच्चों का इलाज चल रहा था. इसके बाद एक सप्ताह में ही यहां भर्ती 6 बच्चों की अलग-अलग बीमारियों के कारण मौत हो गयी थी.