शिवराज कैबिनेट से उज्जवल भविष्य की सौगात की उम्मीद लगाए बैठे हैं अतिथि विद्वान,सरकार कब सुनेगी?
मध्य प्रदेश की शिवराज कैबिनेट से नियमितीकरण की सौगात की उम्मीद लगाकर सरकारी महाविद्यालयों के अतिथि विद्वान बैठे हैं। क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ही शासन काल में शिक्षाकर्मी, संविदा शाला शिक्षक, ईजीएस शाला के गुरुजी, दैनिक वेतन भोगी आदि को नियमितीकरण की सौगात दी जा चुकी है।
इससे पूर्व उच्च शिक्षा विभाग में ही वर्ष 1986 – 87 में आपाती और तदर्थ सेवा से चयनितो को नियमित किया गया था। इसके अलावा बैकलॉक सहायक प्राध्यापक भर्ती 2003 में भी अनिवार्य शर्त को दो वर्ष में अर्जित करने की छूट देकर एमपीपीएससी से केवल साक्षात्कार के माध्यम से नियुक्ति दी गई थी। जिसमें से कई लोग अब तक भी अनिवार्य शर्त को पूरा नहीं कर पाए हैं, फिर भी उनकी नौकरी बरकरार है।
वहीं जब भी अतिथि विद्वान सीएम और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव से मिलते हैं तो उनके द्वारा भी इन्हें शीघ्र ही सौगात देने की बात कही जाती है। परंतु वर्तमान में चल रहे विधानसभा सत्र में कई विधायको द्वारा लगाए गए प्रश्नों के जवाब उच्च शिक्षा मंत्री के द्वारा नकारात्मक में ही दिए गए हैं। परंतु अतिथि विद्वानों को इस बात से पूर्ण भरोसा है कि पूर्व कमलनाथ सरकार के दौरान वर्तमान भाजपा सरकार ने इनके लिए सड़क से लेकर विधानसभा तक इनके मुद्दे को तवज्जो दी थी।
वास्तव में अतिथि विद्वानों का संगठन प्रदेश में एक ऐसा विरला ही संगठन होगा जिसको कि सरकार ने अब तक पूर्णतया संज्ञान में नहीं लिया है। जिसका नकारात्मक प्रभाव इन उच्च शिक्षितो के परिवार, बच्चे और उनके खुद के जीवन पर भी हर तरह से पड़ा है।
अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी ने इस बारे में बताया है कि, ” शिवराज सरकार हमारे अनिश्चित भविष्य को संज्ञान में जरूर लेगी। क्योंकि पूर्व कमलनाथ सरकार तो वचन देकर भी हमारे मुद्दे पर टस से मस नहीं हुई थी। अब हम सभी शिवराज सरकार से शीघ्र ही भविष्य उज्जवल करने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। “