ग़रीब कल्याण सप्ताह में गरीबो के खाने के लाले ,यहां सरकार की योजना साबित हो रही बेमानी। ..देखें video 

ग़रीब कल्याण सप्ताह में गरीबो के खाने के लाले ,यहां सरकार की योजना साबित हो रही बेमानी। ..देखें video 

 

देखें video-https://www.facebook.com/TheLoknitiSihora/videos/3404549936271220/

द लोकनीति डेस्क सिहोरा 
एकतरफ देश के प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिवस पर प्रदेश सरकार ग़रीब कल्याण सप्ताह मना रही है लेकिन दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले की सिहोरा तहसील में आदिवासी गरीब परिवारों को कोरोना काल में राशन तक नसीब नहीं हो रहा है। आदिवासी महिलाये कहती है ,नगर पालिका द्वारा गरीबो को राशन दिलाने के लिए सर्वे पर सर्वे किया गया। सर्वे तो पूरा हो गया लेकिन इस कोरोना काल में हम भूखो मरने की स्तिथि में पहुँच गए लेकिन राशन नहीं मिला ,

हमे न नियम मालुम है न कानून हम तो सिर्फ पेट की भूख जानते है

सिहोरा नगर पालिका क्षेत्र के आदिवासी बाहुल्य वार्ड नंबर -9 ,7,1 की गरीब आदिवासी माहिलाये ममता गौटिया के साथ सिहोरा SDM कार्यालय में अपने छोटे -छोटे बच्चो को लेकर अपना हक मांगने पहुंची पूजा गोंटिया ,आरती गोंटिया ,साधना गोंटिया ,सपना गोंटिया ,सुशीला गोंटिया ,अंजना वंशकार ,सीमा वंशकार ,रेखा वंशकार और ममता चौधरी ने बताया कि  हमने तीन माह पहले SDM सिहोरा को ज्ञापन सौपा था लेकिन हमे मिला तो सिर्फ आश्वासन जिससे हम ग़रीबो का पेट नहीं भर सकता। हमे न नियम मालुम है न कानून हम तो सिर्फ पेट की भूख जानते हैं। किसी तरह यदि काम मिल गया तो दिहाड़ी मजदूरी करके एक वक्त का खाना नसीब हो जाता है वरना भूखे पेट सोना हमारी नियती बन गई है। 

मध्यप्रदेश सरकार की योजना -यहां दिख रही सफेद हाथी। ….. 
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 16 सितंबर से 27 सितंबर तक गरीब कल्याण सप्ताह मनाया जा रहा है। 16 सितंबर को  प्रदेश सरकार ने गरीब हितग्राहियो को खाद्य सुरक्षा पर्ची तथा खाद्यान्न का वितरण करते हुए जमकर फोटो सेशन कर मीडिया और सोशल मीडिया में जमकर वाहवाही लूटी लेकिन जमीनी हक़ीक़त बिल्कुल अलग दिखाई दे रही है। जिन गरीब आदिवासी परिवारों को राशन की इस कोरोना काल में सबसे ज्यादा जरूरत है उनके नाम अपात्र कर उन्हें दाने -दाने के लिए तरसाया जा रहा है। हक़ीक़त में यह तस्वीर उपचुनाव को लेकर अपनी ब्रांडिंग करने में सरकार लगे हुई है। उसे न तो गरीब से मतलब है न ग़रीब आदिवासी परिवारों से यही वजह है। जहां चुनाव नहीं वहा सरकार का ध्यान नहीं। इतना देखकर यह तो आप भी समझ गए होंगे की सरकार कोई भी हो लेकिन गरीब उनके लिए सिर्फ एक वोट बैंक का पिटारा है। जब जिले के शहरी क्षेत्र के ये हाल है तो ,ग्रामीण इलाको का क्या हाल होगा।  …… 

अपात्र का कोई मापदंड नहीं सिर्फ़ काट दिया नाम। …. 
सिहोरा नगर पालिका क्षेत्र के 18 वार्डो में चार राशन दुकाने हैं ,जिनमें 5714 गरीब हितग्राही है जिनको शासन द्वारा तय मापदंड के मुताबिक़ राशन का वितरण किया जाता है। अभी हाल में शासन द्वारा  अपात्र हितग्राहियों के नाम काटे जाने को लेकर किये गए सर्वे में कौन सा मापदंड अपनाकर 219 हितग्राहियो के नाम काट दिए गए इसकी जानकारी इन परिवारों को देने वाला कोई नहीं है। वही दूसरी तरफ सिहोरा नगर में ऐसे कई नामचीन और बड़े लोग है जिनके नाम BPL के कार्ड बने है लेकिन किसी के क्या मजाल की इनके नाम अपात्र में डालकर काट दिए जाए। इन नामचीन और बड़े लोगों में सत्ता पक्ष और विपक्ष के लोगो के नाम भी शामिल है। 

क्या कहते है जिम्मेदार ??
ग़रीब आदिवासी महिलाये मेरे पास राशन नहीं मिलने की शिकायत लेकर आयीं थी ,उनकी शिकायत के आधार पर मामले की जानकारी उच्च अधिकारियो को दी जायेगी ताकि ऐसे ग़रीब पात्र हितग्राहियों को राशन मिल सके। 
रूबी खान , नायब तहसीलदार सिहोरा  

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