कहां से तय हो गया अरुण यादव का नाम? खंडवा सीट से मेरी पत्नी का ही टिकट फाइनल होगा – MLA शेरा

भोपाल/खाईद जौहर : मध्यप्रदेश की खंडवा लोकसभा सीट पर 30 अक्टूबर को होने वाले मतदान से पहले बवाल मच गया है। टिकट को लेकर कांग्रेस में घमासान की स्थिति बन गई है। दरअसल, इस सीट से कांग्रेस से अरुण यादव को टिकट मिलने की उम्मीद है, लेकिन बुरहानपुर से निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा अपनी पत्नी को उम्मीदवार बनाने के लिए ताकत लगा रहे हैं।
इसी बीच विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा का बड़ा बयान सामने आया है, शेरा ने दावा किया है कि टिकट कांग्रेस से सिर्फ उनकी पत्नी को ही मिलेगा। अरुण यादव का नाम तय होने पर शेरा ने कहा कि कहां से तय हो गया अरुण यादव का नाम? क्या बी फार्म मिल गया उन्हें? आम आदमी की सुनेंगे तो सिर्फ जयश्री का ही नाम आएगा। शेरा ने कहा कि खंडवा सीट से मेरी पत्नी जयश्री का ही टिकट फाइनल होगा। कांग्रेस से जयश्री को ही टिकट मिलेगा।
टिकट का प्रबल दावेदार मानते हुए शेरा ने कहा कि कांग्रेस में टिकट के लिए उन्होंने कमलनाथ, दिग्विजय सिंह समेत संगठन के सभी लोगों तक अपनी बात पहुंचा दी है। मालूम हो कि खंडवा से दिग्गज अरुण यादव टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। वहीं, सुरेंद्र सिंह शेरा ने भी टिकट की मांग कर दी है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस 5 अक्टूबर तक उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर सकती है।
वहीं, आज अरुण यादव भी दिल्ली पहुंचे है जहां वो प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात करेंगे। पार्टी सूत्रों ने बताया कि अरुण यादव दिल्ली प्रवास के दौरान प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक से भी मुलाकात कर सकते हैं।
बता दें कि 1962 से अब तक हुए 15 चुनाव में इस सीट पर 8 बार भाजपा तथा बीएलडी और 7 बार कांग्रेस का कब्जा रहा है। नंदकुमार सिंह चौहान और अरुण यादव के बीच तीन बार मुकाबला हुआ। इनमें दो बार अरुण यादव को हार का सामना करना पड़ा है। दिवंगत सांसद चौहान ने 6 बार खंडवा लोकसभा का प्रतिनिधित्व किया।
कहा जा रहा है कि कमलनाथ 2 अक्टूबर को भोपाल में उपचुनाव के प्रभारी और पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। कांग्रेस की रणनीति है कि चारों सीटों के प्रत्याशियों की घोषणा भाजपा से पहले कर दी जाए।
बताया जाता है कि कमलनाथ भोपाल आने से पहले प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ संभावित प्रत्याशियों को लेकर विचार विमर्श कर सकते हैं, क्योंकि वे अपने स्तर पर प्रत्याशी चयन के लिए सर्वे करा चुके हैं। यही वजह है कि अरुण यादव इस बैठक से पहले कमलनाथ व वासनिक से मुलाकात करना चाहते हैं।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में होने वाले चुनावों की तारीखों का ऐलान होने से पहले ही दोनों दलों ने रणनीति तेज करने के साथ नेताओं की तैनाती भी शुरू कर दी थी। क्योंकि ये उपचुनाव को 2023 की सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा है। हालांकि, प्रदेश सरकार को इस उपचुनाव में हार-जीत से ज़्यादा कोई असर नहीं पड़ेगा। फिर भी यह चुनाव दोनों दलों के लिए प्रतिष्ठा का है।