रीवा से संवाददाता गौरव सिंह की रिपोर्ट
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय (Awadesh Pratap Singh university) में रहे पूर्व रजिस्ट्रार राकेश कुमार चौहान को सेवा से निकाल दिया गया है। शासन द्वारा उन्हें कई अवसर पर अपना पक्ष रखने के लिए दिया गया लेकिन हर बार वह अपनी मर्जी के अनुसार जवाब देते रहे हैं। इसलिए आदेश जारी कर उन्हें सेवा से ही अलग कर दिया गया है। बताया गया है कि विश्वविद्यालय में रहते हुए वह लगातार विवादों में रहे हैं जिसकी वजह से शासन ने उन्हें स्थानांरित कर महर्षि पाणिनी विश्वविद्यालय उज्जैन भेजा था। जहां पर वह समय पर उपस्थित नहीं हुए।
इधर अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय की ओर से उन्हें भारमुक्त भी किया गया लेकिन उन्होंने समय पर ज्वाइनिंग नहीं की। इसके अलावा रिश्वत लेते हुए पकड़े गए प्रोफेसर अजय अवस्थी का जीवन निर्वाह भत्ता भी रीवा में रहते हुए उन्होंने बढ़ा दिया था। साथ ही रिसर्च स्कालर के साथ मारपीट और अभद्रता किए जाने का मामला भी सामने आया था। जिसमें युवती की ओर से यौन उत्पीडऩ का आरोप भी लगाया गया था। साथ ही अन्य कई गंभीर आरोप उन पर रहे हैं। शासन ने विभागीय जांच में उनसे सभी विन्दुओं पर सवाल पूछा लेकिन इसका सार्थक जवाब नहीं देकर वह गुमराह करते रहे।
शहर के लोगों ने किया था विरोध
विश्वविद्यालय में कुलसचिव रहे राकेश कुमार चौहान के खिलाफ शहर के लोगों ने कई दिनों तक प्रदर्शन किया था। चौहान पर आरोप था कि शोध छात्रा के साथ यौन उत्पीडऩ किया था, उसके पति ने विरोध किया तो अपने चेंबर में कर्मचारियों के साथ मिलकर मारपीट की। इस घटना वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसकी वजह से शहर के सामाजिक संगठनों ने एफआइआर की मांग के साथ ही पद से बर्खास्त करने की मांग को लेकर कई दिनों तक विरोध प्रदर्शन किया था। करीब पांच वर्षों से अधिक समय तक चली जांच के बाद आखिरकार सरकार ने बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया।